स्पर्श गंगा महोत्सव में शोध और नवाचार आधारित शिक्षण के लिए मिला सम्मान
उच्च शिक्षा और शोध के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली
हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय की जैव प्रौद्योगिकी विभाग की
एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ममता आर्य को स्पर्श गंगा शिक्षाश्री पुरस्कार–2025 से सम्मानित किया गया है।
यह सम्मान उन्हें हिमालयन एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट सोसाइटी (HUDERS)
द्वारा प्रदान किया गया।
स्पर्श गंगा महोत्सव में हुआ सम्मान समारोह
यह सम्मान लेखक गांव (थानों), देहरादून में आयोजित
स्पर्श गंगा महोत्सव के दौरान प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक
और प्रसिद्ध पर्यावरणविद् पद्म विभूषण से सम्मानित डॉ. अनिल प्रकाश जोशी उपस्थित रहे।
दोनों विशिष्ट अतिथियों ने डॉ. ममता आर्य को यह पुरस्कार प्रदान किया।

शोध और शिक्षण नवाचार के लिए चयन
HUDERS के सचिव एवं स्पर्श गंगा अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक प्रो. अतुल जोशी ने बताया कि डॉ. ममता आर्य को यह पुरस्कार
- शिक्षण प्रणाली में नवाचार,
- तथा शोध के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान
के लिए प्रदान किया गया है।
पुरस्कार स्वरूप मिला सम्मान
डॉ. ममता आर्य को पुरस्कार के रूप में
- स्मृति चिन्ह,
- प्रशस्ति पत्र,
- और 11,000 रुपये की नकद राशि प्रदान की गई।
चयन समिति में ये रहे शामिल
इस वर्ष पुरस्कार चयन समिति में देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविद् और विशेषज्ञ शामिल रहे, जिनमें—
- पद्मश्री सम्मानित पर्यावरणविद् कल्याण सिंह रावत ‘मैती’,
- प्रो. अतुल जोशी,
- प्रो. प्रभाकर बडोनी,
- सुश्री विदुषी निशंक,
- डॉ. एस. डी. तिवारी,
- प्रो. सी. एस. जोशी
- तथा HUDERS के अध्यक्ष के. के. पांडे शामिल थे।
गंगा प्रदूषण पर शोध को मिली सराहना
डॉ. ममता आर्य द्वारा गंगा नदी में हेवी मेटल प्रदूषण की जांच तथा
बैक्टीरिया के माध्यम से उसके निवारण पर किए गए शोध कार्यों को चयन समिति द्वारा विशेष रूप से सराहा गया। यह शोध गंगा संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विश्वविद्यालय में खुशी की लहर
डॉ. ममता आर्य की इस उपलब्धि पर गढ़वाल विश्वविद्यालय के शिक्षकों और छात्रों ने प्रसन्नता व्यक्त की।
विश्वविद्यालय परिवार ने इसे संस्थान के लिए गौरवपूर्ण और प्रेरणादायक उपलब्धि बताया।
















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