MGNREGA की जगह लेगा नया कानून
18 दिसंबर 2025 को लोकसभा में भारी हंगामे और विरोध के बीच
VB-G-RAM-G (भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन–ग्रामीण) बिल पारित कर दिया गया।
यह बिल लगभग 20 साल पुराने MGNREGA की जगह लेने जा रहा है।
विपक्ष के तीखे विरोध, नारेबाजी और कागज फाड़कर फेंकने की घटनाओं के कारण
सदन का माहौल इतना बिगड़ गया कि कार्यवाही अगले दिन तक के लिए स्थगित करनी पड़ी।
14 घंटे लंबी बहस, देर रात 1:35 बजे तक चली कार्यवाही
बुधवार को इस बिल पर करीब 14 घंटे तक चर्चा हुई, जो देर रात 1:35 बजे तक चली।
इस दौरान 98 सांसदों ने बहस में हिस्सा लिया।
विपक्ष की प्रमुख मांग थी कि प्रस्तावित कानून को स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजा जाए,
लेकिन भारी विरोध के बीच सरकार ने बिल को पास करा लिया।
सदन में कागज फाड़कर फेंकने तक पहुंचा विरोध
VB-G-RAM-G बिल पर जवाब देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार का पक्ष रखा।
इसी दौरान विपक्षी सांसदों ने जोरदार नारेबाजी की,
वेल में आकर विरोध जताया और कागज फाड़कर फेंके। इसके चलते कई बार सदन की कार्यवाही बाधित हुई।
‘हम किसी से भेदभाव नहीं करते’: शिवराज सिंह चौहान
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा,
“हम किसी से भेदभाव नहीं करते। बापू हमारी प्रेरणा और श्रद्धा हैं।
पूरा देश हमारे लिए एक है। देश हमारे लिए केवल जमीन का टुकड़ा नहीं है। हमारे विचार संकीर्ण नहीं हैं।”
स्टैंडिंग कमेटी को भेजने की मांग खारिज
कांग्रेस सांसद के जी वेणुगोपाल ने बिल को किसी स्थायी समिति या
संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने की मांग की।
हालांकि, लोकसभा स्पीकर ने कहा कि इस बिल पर 14 घंटे से अधिक समय तक बहस हो चुकी है,
इसलिए अनुरोध स्वीकार नहीं किया जा सकता।
इसके बाद विपक्ष ने कृषि मंत्री से बहस जारी रखने की मांग की।
‘नाम रखने की सनक कांग्रेस की’
नाम बदलने के मुद्दे पर शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोलते हुए कहा,
“कितनी योजनाओं के नाम नेहरू परिवार पर रखे गए। राजीव जी के नाम पर 55 राज्य सरकारों की योजनाएं हैं, 74 सड़कों के नाम राजीव पर हैं और 15 नेशनल पार्क नेहरू जी के नाम पर रखे गए। नाम रखने की सनक कांग्रेस की है।”
प्रियंका गांधी ने पहले ही जताया था विरोध
गौरतलब है कि 16 दिसंबर को कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा था
कि हर योजना का नाम बदलने की सनक समझ से परे है।
उन्होंने इस प्रस्तावित कानून पर पुनर्विचार की मांग की थी।
















Leave a Reply