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LUCC चिट फंड घोटाला: श्रीनगर में पीड़ित महिलाओं की जनाक्रोश रैली

CBI जांच पर गंभीर सवाल

पीपलचौरी चौराहा से तहसील तक प्रदर्शन, सरकार से न्याय और राहत की मांग

सोमवार, 22 दिसंबर को श्रीनगर गढ़वाल स्थित पीपलचौरी चौराहा से गोला बाजार होते हुए

तहसील तक LUCC चिट फंड घोटाले में पीड़ित महिलाओं ने जनाक्रोश रैली निकाली।

रैली में बड़ी संख्या में महिलाओं और स्थानीय नागरिकों ने हिस्सा लिया

और सरकार व जांच एजेंसियों के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया।

‘घोटाले ने सामाजिक जीवन तोड़ दिया’: रेखा भट्ट

पीड़ित महिला रेखा भट्ट ने बताया कि उन्होंने एजेंट के माध्यम से LUCC में निवेश किया था।

उन्होंने कहा, “इस घोटाले के बाद मेरे रिश्ते टूट गए हैं। न किसी से बातचीत होती है, न किसी सामाजिक आयोजन में शामिल होती हूं। कई बार प्रदर्शन किए गए, लेकिन आज तक समस्या जस-की-तस बनी हुई है।”

रेखा भट्ट ने जल्द न्याय की मांग करते हुए कहा कि CBI जांच में अब तक कोई ठोस कार्रवाई दिखाई नहीं दी है।

‘पहले भरोसा जीता, फिर भुगतान बंद’

पीड़ित किरन कैंतुरा ने बताया कि LUCC में तीन और पांच साल की अवधि पर

7 प्रतिशत तक ब्याज रिटर्न का लालच दिया जाता था।

“शुरुआत में अच्छा रिटर्न देकर लोगों को रिझाया गया, लेकिन समय के साथ भुगतान बंद हो गया।

मैं सिंगल पेरेंट हूं और मेरे करीब 21 लाख रुपये फंसे हुए हैं, आरडी से अधिक एफडी में निवेश कराया गया, जो निवेशकों के लिए अधिक नुकसानदायक साबित हुआ।”

‘सरकारी कनेक्शन बताकर भरोसा दिलाया गया’: सुमन गोस्वामी

पीड़ित महिला सुमन गोस्वामी ने कहा कि LUCC से जुड़ते समय उन्होंने इसकी पूरी जानकारी ली थी।

“कंपनी को कृषि मंत्रालय से जुड़ा बताया गया था। देहरादून और ऋषिकेश तक इसके एटीएम लगे थे

और आरबीआई की वेबसाइट पर भी जानकारी दी गई थी।

2024 के बाद कंपनी ने टालमटोल शुरू कर दी और कहा कि मामला सहकारिता मंत्रालय के पास चला गया है,” उन्होंने आरोप लगाया कि CBI जांच जब तक धरातल पर नहीं उतरती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा।

‘CBI का नाम लेकर लोगों को शांत किया जा रहा’: सरस्वती देवी

निवेदक नारी क्रांति मानव चेतना नागरिक संगठन की गढ़वाल मंडल प्रभारी सरस्वती देवी ने कहा

कि पीड़ित महिलाओं की स्थिति बेहद गंभीर है।

उन्होंने कहा, “सरकार CBI जांच का झुनझुना दिखाकर लोगों को शांत करना चाहती है। सवाल यह है कि क्या वास्तव में जांच हो भी रही है?”

यदि एलयूसीसी घोटाले की जांच वास्तव में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कर रही है, तो यह स्पष्ट किया जाए कि जांच अब तक कहां तक पहुंची है।

रैली में सवाल उठाया गया कि जब नौ वर्षों तक एलयूसीसी पूरे प्रदेश में घर-घर तक अपनी पैठ बना चुकी थी, तब शासन-प्रशासन आखिर कहां था।

उन्होंने आरोप लगाया कि आज अपराधी उन्हें बनाया जा रहा है जो केवल एजेंट थे, जबकि असली जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हो रही।

सरकार यह कहकर पल्ला झाड़ रही है कि यह उसका मामला नहीं है, लेकिन यदि ऐसा ही था तो फिर एलयूसीसी को अनुमति किस आधार पर दी गई यह अब भी अनुत्तरित प्रश्न बना हुआ है।

सरकार से धरनास्थल पर आने की मांग: लक्ष्मी भट्ट

पीड़िता लक्ष्मी भट्ट ने कहा कि महंगाई के इस दौर में जीवन यापन करना बेहद कठिन हो गया है।

“सरकार को धरनास्थल पर आकर पीड़ितों को भरोसा देना चाहिए और जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई करनी चाहिए,”

जनाक्रोश रैली के प्रमुख मुद्दे

रैली के दौरान पीड़ित नागरिकों और मातृ शक्ति की ओर से निम्न प्रमुख मांगें उठाई गईं—

  1. LUCC महाघोटाले में CBI जांच शीघ्र पूरी की जाए
  2. पीड़ितों की मेहनत की कमाई सम्मानपूर्वक वापस की जाए, केंद्र व राज्य सरकार आपातकालीन आर्थिक फंड बनाए
  3. बढ़ते वन्यजीव–मानव संघर्ष से जनता को राहत और सुरक्षा दी जाए
  4. उत्तराखंड को नशा मुक्त कर युवाओं का भविष्य सुरक्षित किया जाए
  5. अंकिता भंडारी हत्याकांड के कथित वीआईपी आरोपी की गिरफ्तारी और कड़ी सजा दी जाए
  6. महिलाओं और बेटियों पर हो रहे अत्याचारों पर रोक लगे, न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
  7. बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार कर समय पर इलाज उपलब्ध कराया जाए

एलयूसीसी चिट फंड घोटाले से पीड़ित महिलाओं ने तहसील कार्यालय पहुंचकर उपजिलाधिकारी (एसडीएम) नुपूर वर्मा को ज्ञापन सौंपने का प्रयास किया।

हालांकि, मौके पर एसडीएम की अनुपस्थिति के चलते पीड़ितों ने अपना ज्ञापन तहसीलदार दीपक भंडारी को सौंपा।

पीड़ित महिलाओं ने ज्ञापन के माध्यम से एलयूसीसी मामले में त्वरित कार्रवाई, सीबीआई जांच की प्रगति सार्वजनिक करने और निवेशकों की राशि सुरक्षित रूप से वापस दिलाने की मांग की।

उन्होंने प्रशासन से शीघ्र ठोस कदम उठाने का आग्रह किया ताकि प्रभावित परिवारों को राहत मिल सके।

जितेंद्र हत्याकांड: चार माह बाद भी चार्जशीट नहीं

करीब चार माह पूर्व सामने आए जितेंद्र हत्याकांड की वायरल वीडियो ने पूरे प्रदेश

और सोशल मीडिया को झकझोर कर रख दिया था।

मामले में कथित आरोपी हिमांशु चमोली को जमानत मिल चुकी है,

लेकिन अब तक न तो चार्जशीट दाखिल हुई है

और न ही पीड़ित परिवार को न्याय की कोई ठोस उम्मीद दिखाई दे रही है।

मृतक जितेंद्र की बहन पूनम ने प्रशासन और सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें शुरुआत में आश्वासन दिया गया था कि, सरकार उनकी ओर से वकील नियुक्त करेगी और न्याय दिलाया जाएगा, लेकिन चार माह बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

‘90 दिन में चार्जशीट होनी थी, लेकिन फाइल आगे ही नहीं बढ़ी’

पूनम ने कहा, “कि 90 दिनों के भीतर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी जाएगी, लेकिन अब पुलिस यह कह रही है कि रिपोर्ट ही नहीं पहुंची है। जब रिपोर्ट ही आगे नहीं जाएगी तो केस कोर्ट तक कैसे पहुंचेगा?”

परिजनों का कहना है कि चार्जशीट में देरी के चलते आरोपी को बेल मिल गई, जिससे परिवार में डर और असुरक्षा का माहौल है।

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