जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनावों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन को हटा लिया है। केंद्र सरकार ने अक्तूबर, 2019 में राष्ट्रपति शासन लगाया था। केंद्र सरकार के इस बड़े फैसले के बाद अब उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में नई सरकार शपथ ग्रहण करके कामकाज शुरू करेगी।
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जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन हटा लिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से 13 अक्टूबर को एक आधिकारिक आदेश जारी किया गया। शुक्रवार, 11 अक्टूबर को नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने राजभवन में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से भेंट की थी। इस दौरान उमर अब्दुल्ला ने उनके समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसमें उन्होंने सहयोगियों दलों से मिली समर्थन की चिटि्ठयां भी सौंपी थीं। उन्होंने 54 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया है।
10 अक्टूबर को उमर अब्दुल्ला को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया जिससे मुख्यमंत्री के तौर पर उनके दूसरे कार्यकाल का रास्ता साफ हो गया है। उनका पहला कार्यकाल 2009 से 2014 तक रहा था। उस वक्त जम्मू और कश्मीर एक राज्य था और एनसी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार थी।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटें जीतीं जबकि कांग्रेस को सिर्फ छह सीटें मिलीं। कश्मीर में पांच और जम्मू में एक। वहीं, भारतीय जनता पार्टी 29 सीटों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। तीन चरणों में हुआ ये इलेक्शन अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहला चुनाव था।
पांच साल बाद हटा राष्ट्रपति शासन
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आदेश में कहा है कि जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के संबंध में 31 अक्टूबर, 2019 का आदेश जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति से तुरंत पहले निरस्त माना जाएगा। अब ऐसे में नई सरकार के शपथ ग्रहण का रास्ता साफ हो गया। नई सरकार का 16 अक्तूबर को शपथ लेने की संभावना है।
बता दें, 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने राज्यपाल शासन के तहत छह महीने पूरे होने के बाद जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाया था। उस साल जून में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार गिरने के बाद केंद्र शासित प्रदेश राजनीतिक संकट में पड़ गया था।