उच्चतम न्यायालय ने बुधवार, 20 नवम्बर को कहा कि उसे उम्मीद है कि, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में लगभग 34 किमी के प्रस्तावित एलिवेटेड गलियारे को जल्द से जल्द पूरा करेगा और अन्य हितधारक वन्यजीव-अनुकूल उपाय के लिए पूरा समर्थन देंगे।
विस्तार
असम सरकार ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि एलिवेटेड गलियारा राष्ट्रीय उद्यान के लिए प्रस्तावित किया गया था, जो एक सींग वाले गैंडों के लिए प्रसिद्ध है।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ को बताया गया कि एनएचएआई द्वारा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पर काम जारी है और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस परियोजना को प्राथमिकता श्रेणी में रखा है।
पीठ ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि असम और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय काजीरंगा अभयारण्य के दो हिस्सों को विभाजित करने वाले एक एलिवेटेड गलियारे का निर्माण करने के लिए आवश्यक कदम उठा रहे हैं, ताकि वन्यजीव जंगल के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक निर्बाध रूप से आवाजाही कर सकें।’’
उसने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि एनएचएआई इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करेगा और अन्य हितधारकों से भी अपेक्षा करते हैं कि वे उक्त परियोजना को शीघ्र पूरा करने के वास्ते पूर्ण समर्थन और सहयोग प्रदान करेंगे।’’
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने की थी घोषणा
बीते वर्ष 4 नवंबर को असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के लिए वन्यजीव-अनुकूल उपाय के रूप में एक एलिवेटेड एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए 5,500 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा था कि एनएच-715 (पुराना एनएच-37) के साथ चार लेन की एलिवेटेड सड़क तीन स्थानों पर होगी, जिसकी कुल लंबाई 34.28 किलोमीटर होगी और इसमें दो सुरंगें भी शामिल होंगी।
सीएम सरमा ने कहा था कि वन्यजीव-अनुकूल सड़क की अवधारणा भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के परामर्श से विकसित की गई थी और इसमें एलिवेटेड सड़कें और सुरंगें होंगी जो क्रमशः जानवरों के अंडरपास और ओवरपास के रूप में काम करेंगी।
बता दें कि, काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में एक सींग वाला गैंडा के अलावा, हूलॉक गिब्बन, बाघ, तेंदुआ, भारतीय हाथी, सुस्त भालू, जंगली भैंसा और दलदली हिरण जंगलों में देखे जा सकने वाले जानवरों में शामिल हैं।
एलिवेटेड कॉरिडोर से तात्पर्य सड़क, राजमार्ग या रेलवे जैसे परिवहन मार्गों से है, जो ज़मीन से ऊपर बनाए जाते हैं, आमतौर पर पुल या वायडक्ट जैसी ऊँची संरचनाओं पर। इन गलियारों को भीड़भाड़ को कम करने, भूमि उपयोग को कम करने और शहरी क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।