झूठा प्रशासनः ग्रामीणों को आंदोलन को बता रहा दो गाँवों का विवाद

अभिरेख अरुणाभ

आज 7 वें दिन भी उत्तरकाशी के कलेक्ट्रेट परिसर में भटवाड़ी ब्लाॅक के डांग गाँव के ग्रामीणों का ‘गांव बचाओ आन्दोलन’ (ग्राम स्वराज की स्थापना के लिए एकजुट हुए गाँवों का जन संगठन) के बैनर तले अपनी ‘पानी’ की समस्या और अपनी शासन द्वारा स्वीकृत सड़क के लिए बजट की मांग को लेकर सत्याग्रह जन आन्दोलन जारी रहा।

ग्रामीणों ने बताया कि अभी तक जिला प्रशासन ने उनकी समस्याओं को गम्भीरता से नहीं लिया है। औपचारिकता के लिए विगत शनिवार सिर्फ को तहसीलदार और जल संस्थान के एक रिटायर्ड एई को बात करने के लिए धरना स्थल पर भेजा था, लेकिन कोई भी नतीजा नहीं निकला।

ग्रामीणों ने बताया कि पानी की समस्या दूर न हो पाने की वजह जिला प्रशासन द्वारा दो गाँवों डांग व पोखरी का आपसी विवाद बताया जा रहा है। जबकि, डांग के ग्रामीणों का कहना है कि हम दोनों गाँवों के बीच कोई विवाद नहीं, है।

सड़क निर्माण को लेकर दोनों गाँवों के बीच जो भी मतभेद थे, वो वर्ष 2019 में पूर्व विधायक स्व. श्री गोपाल रावत जी और तत्कालीन जिला अधिकारी आशीष चैहान जी की मध्यस्थता में सुलझाए जा चुके हैं।

उसी समाधान, के बाद पूर्व विधायक गोपाल रावत जी ने डांग गाँव के ग्रामीणों द्वारा श्रमदान से दोनों गांवों डांग व पोखरी के लिए जो सड़क बनाई थी, उसी को शासन से स्वीकृत करवाया और वर्तमान में वह सड़क ग्रामीन निर्माण विभाग (आर उब्ल्यू.डी.) द्वारा बनाई जा रही है।

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सड़क निर्माण में सरकारी बजट से लाखों रूपए लग भी चुके हैं और आगे के कार्य के लिए ग्रामीण निर्माण विभाग ने शासन स्तर से बजट की मांग भी की है। साथ ही डांग गाँव भी कई बार लिखित रूप में शासन से बजट की मांग कर चुका है और वर्तमान में भी कर रहा है।

डांग के ग्रामीणों का कहना है कि जल जीवन मिशन केन्द्र सरकार की योजना है जिसके तहत हमारे गांव में लाइन बिछाई गई और नया पानी का टैंक बनाया गया है, क्योंकि अभी तक ग्राम पंचायत डांग का स्वयं का पृथक कोई पानी का टैंक नहीं था। बल्कि डांग व पोखरी गाँव का एक संयुक्त था।

अब जब दोनों गाँवों की पानी का अलग-अलग ग्राम पंचायत बन गई है तो जल जीवन मिशन के तहत डांग गाँव का पृथक नया टैंक बनाया गया है। जिससे दोनों (डांग व पोखरी) ग्राम पंचायतों में पर्याप्त पानी रहे।

डांग के ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जिला प्रशासन यदि काम करने की मंशा दिखाए तो मात्र 200-300 मीटर बिछने के लिए शेष रही पानी की लाइन को पुलिस सुरक्षा में बिछवा सकता है, वैसे भी ही व्यवधान कर रहे हैं।

पानी जो कि राष्ट्रीय संपत्ति है स्वच्छ पेयजल की प्राप्ति एक मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21 के तहत) भी है उसे किसी भी गाँव के व्यक्ति, दूसरे गाँव में जाने से कैसे रोक सकते हैं?

अब जिला प्रशासन की स्थिति और मंशा पूरी तरह साफ नजर रही है कि प्रशासन अपन झूठ को छिपाने के लिए और समस्या से पीछा छुड़ाने के लिए ऐसे वाहियात तर्क दे रहा है और भ्रष्टाचार तथा निकम्मेपन को बढ़ावा दे रहा है।

https://youtu.be/DOr9xIQE7b8?si=SuXimURswdUwF5at
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