जलवायु परिवर्तन की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही
केदार घाटी के समस्त इलाकों में दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में भी मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं की फसल चौपट होने की कंगार पर है तथा काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है।
मौसम के अनुकूल बारिश न होने से सुबह-शाम सर्द हवाओं के चलने से जन-जीवन खासा प्रभावित होने लगा है। मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जलस्रोतों के जलस्तर पर निरन्तर गिरावट देखने को मिल रही है तथा सर्दी के मौसम में खेत-खलिहानों में धूल उठने से काश्तकारों खासे चिन्तित है।
कुछ इलाकों में काश्तकार अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं कर पाये है। आने वाले समय में यदि मौसम के अनुकूल बारिश नहीं हुई तो काश्तकारों की गेहूं, जन, सरसों, मटर की फसलों के साथ साग-भाजी की फसलों को भी खासा नुकसान पहुंचने से भविष्य में काश्तकारों के सन्मुख दो जून रोटी का संकट खड़ा हो सकता है।
केदार घाटी के काश्तकारों के अनुसार केदार घाटी में विगत दो माह से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं, जौ, सरसों , मटर की फसलों के उत्पादन में खासा असर देखने को मिल रहा है क्योंकि, गेहूं, जन, सरसों व मटर की फसलों को पर्याप्त मात्रा में पानी न मिलने से फसलों में नवऊर्जा का संचार नहीं हो पा रहा है तथा कुछ इलाकों में गेहूं की बुवाई भी खासी प्रभावित हुई है जिससे काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है।
सुबह – शाम सर्द हवाओं के चलने से जनजीवन खासा प्रभावित हो रहा है तथा सुबह 11 बजे तक मुख्य बाजारों में सन्नाटा देखने को मिल रहा है।
मदमहेश्वर घाटी के बष्टी गाँव के काश्तकार बलवीर राणा ने बताया कि, दिसम्बर माह में जिन खेत-खलिहान में औस या फिर पाले के कारण नमी रहती थी उन खेतों में धूल उड़ना भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।
उन्होंने बताया कि दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं सहित अन्य प्रजाति की फसलों के उत्पादन पर खासा असर देखने को मिल रहा है।
मंगोली गाँव के काश्तकार अनिल धर्म्वाण ने बताया कि, मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार दिसम्बर माह के शुरुआत में बारिश की सम्भावना जताई गयी थी मगर दिसम्बर माह शुरू होने के बाद भी बारिश न होने से काश्तकार आसमान की तरफ टक-टकी लगाये बैठे है।
निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य परकण्डी रीना बिष्ट का कहना है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या निरन्तर बढ़ती जा रही है जो कि भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं है।
जल संस्थान के अवर अभियन्ता बीरेन्द्र भण्डारी का कहना है कि केदार घाटी के सभी इलाकों में मौसम के अनुकूल बारिश न होने से प्राकृतिक जल स्रोतों के जल स्तर पर भारी गिरावट देखने को मिल रही है परिणामस्वरूप विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी विभिन्न क्षेत्रों में भारी पेयजल संकट गहराने की सम्मावनाओ से इनकार नहीं किया जा सकता है।