शंकर गोपाल
राज्यभर के जन संगठनों ने देहरादून की नदियों पर प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को “बेमानी, विनाशकारी और जन-विरोधी” बताते हुए आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम खुला पत्र सौंपा।
संगठनों का कहना है कि जब जनता स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रही है, ऐसे समय में प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना के लिए अनुपूरक बजट में ₹925 करोड़ आबंटित करना जनता के साथ बड़ा मज़ाक है।
संगठनों ने इस परियोजना को गैर-ज़रूरी, विनाशकारी और जनविरोधी बताते हुए कहा कि इससे—
- पहाड़ी क्षेत्रों में वाहनों का दबाव बढ़ेगा,
- मसूरी–देहरादून क्षेत्र में पहले से मौजूद जाम की समस्या और गंभीर होगी,
- हजारों परिवार उजड़ेंगे,
- हजारों पेड़ कटेंगे,
- देहरादून की दोनों नदियों में भारी मात्रा में मलबा गिरने से बाढ़ और आपदा का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा।
संयुक्त हस्ताक्षरित खुला पत्र आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को सौंपा गया।

पत्र जारी करते हुए उन्होंने बताया कि, प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजनाओं को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करना चाहते हैं। जब स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसी मूलभूत ज़रूरतें पूरी नहीं हो पा रही हैं, तब इस परियोजना पर ₹925 करोड़ खर्च करना राज्यवासियों के साथ अन्याय है।
राजीव लोचन साह, उत्तराखंड लोक वाहिनी ने कहा “एक ओर नागरिक बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे हैं, दूसरी ओर सरकार अरबों रुपये गैर-जरूरी परियोजनाओं पर लगा रही है। यह जनहित के खिलाफ है।”
उमा भट्ट, उत्तराखंड महिला मंच ने कहा “इस परियोजना से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित हजारों परिवार प्रभावित होंगे। यह विकास नहीं, विनाश का रास्ता है।”
यह परियोजना—
- पर्यावरण और नदी तंत्र के लिए गंभीर खतरा है
- शहर की मौजूदा समस्याओं को कई गुना बढ़ा देगी
- हजारों परिवारों को विस्थापित करेगी
- पेड़ों और जैव-विविधता को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाएगी
- मलबा गिरने से आपदा जोखिम बढ़ाएगी
हमारी मांग:
इस परियोजना को रद्द कर यह राशि—
- 400 नई बसों की खरीद
- महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा
- शहरों में रोजगार गारंटी के तहत किफायती आवास निर्माण
- हरित विकास को केंद्र में रखकर शहरी योजनाओं का क्रियान्वयन
राज्यभर के कई संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने खुला पत्र पर हस्ताक्षर किए, जिनमें प्रमुख नाम हैं—
- राजीव लोचन साह (उत्तराखंड लोक वाहिनी),
- उमा भट्ट व विमला (उत्तराखंड महिला मंच),
- इस्लाम हुसैन, Adv. हरबीर सिंह कुशवाहा, यशवीर आर्य (सर्वोदय मंडल),
- नरेश नौडियाल, दिनेश उपाध्याय (उत्तराखंड सर्वोदय मंडल),
- तरुण जोशी (वन पंचायत संघर्ष मोर्चा),
- हीरा जंगपांगी (महिला किसान अधिकार मंच),
- कमलेश खंतवाल (भारत ज्ञान-विज्ञान समिति),
- मुशर्रफ अली (अल्पसंख्यक सेवा समिति),
- राकेश अग्रवाल (सामाजिक कार्यकर्ता),
- क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन,
- राजेश सकलानी (लेखक),
- सत्यानारायण रतूड़ी (सामाजिक कार्यकर्ता),
- मीर हमजा (वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन)
साथ ही कई अन्य जन संगठन, विपक्षी दल और चिंतित नागरिकों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए।
एलिवेटेड रोड परियोजना
देहरादून की रीस और बिंदाल नदियों पर एलिवेटेड रोड परियोजना लंबे समय से विवाद में है।
विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का कहना है कि नदी चैनल में कोई भी बड़ा निर्माण भू-स्खलन, बाढ़ और भूगर्भीय बदलावों का खतरा बढ़ा सकता है।
साथ ही राज्य में पर्यटन दबाव, वाहनों की डेटा वृद्धि और शहरीकरण पहले ही देहरादून को “इकोलॉजिकल स्ट्रेस ज़ोन” की श्रेणी में रख चुका है।
















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