उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के गुप्तकाशी क्षेत्र के रुद्रपुर गांव में प्रस्तावित 220 केवी विद्युत उपसंस्थान और ट्रांसमिशन लाइन के निर्माण के खिलाफ दायर जनहित याचिका को नैनीताल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि पिटकुल द्वारा जिस भूमि का चयन किया गया है, वह गांव की पारंपरिक गोचर भूमि है और इस परियोजना से पर्यावरण और आजीविका पर असर पड़ेगा।
याचिका की सुनवाई वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ ने की। पीठ ने कहा कि यह स्पष्ट किया कि इस मामले में पहले से ही मंजू देवी की एक जनहित याचिका विचाराधीन है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नए याचिकाकर्ता चाहें तो उस लंबित याचिका में पक्षकार बन सकते हैं। इस आधार पर याचिका को खारिज कर दिया गया।

पिटकुल की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 25 मार्च को जब उनके अधिकारी साइट निरीक्षण के लिए पहुंचे, तो ग्रामीणों ने इसका विरोध किया, जिसके चलते गुप्तकाशी थाने में एफआईआर दर्ज की गई। पिटकुल ने यह भी तर्क दिया कि यह परियोजना गढ़वाल क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति की स्थिरता और विस्तार के लिए आवश्यक है।
पिटकुल की आधिकारिक योजनाओं के अनुसार, उत्तराखंड में 220 केवी स्तर के उपसंस्थान ऊर्जा के बंटवारे में एक प्रमुख भूमिका निभाते हैं। रुद्रपुर गांव में यह उपसंस्थान न केवल स्थानीय विकास को गति देगा, बल्कि भविष्य की विद्युत जरूरतों को भी पूरा करेगा।
दूसरी ओर, ग्रामीणों का कहना है कि यह भूमि गोचर के रूप में वर्षों से उपयोग में लाई जा रही है और इस भूमि पर निर्माण उनके आजीविका साधनों और पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल असर डालेगा। उनकी मांग है कि परियोजना को किसी वैकल्पिक स्थान पर स्थानांतरित किया जाए।
इस निर्णय के बाद ग्रामीणों को झटका लगा है, लेकिन उनके पास अब भी यह विकल्प है कि वे पहले से लंबित याचिका में शामिल होकर अपनी बात रख सकते हैं। साथ ही, यह ज़रूरी है कि पिटकुल स्थानीय समुदाय से संवाद करे और समाधान की दिशा में सकारात्मक कदम उठाए।