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चंपावत में गुलदार का हमला

पहाड़ों में जान-माल का खतरा

Champaawat leopard attack: उत्तराखंड के पहाड़ों में मानव और वन्यजीव के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है।

कहीं गुलदार लोगों पर हमला कर रहे हैं, तो कहीं भालू उन्हें झंझोड़ रहे हैं।

बारकोट विकासखंड के ग्राम पंचायत च्यूरानी के धरगड़ा तोक में मंगलवार तड़के 5:30 बजे शौच के लिए घर से बाहर निकले 44 वर्षीय देव सिंह को गुलदार ने अपना शिकार बना लिया।

मानव और वन्यजीव संघर्ष का भयावह आंकड़ा

वर्ष 2000 से 2025 के बीच पहाड़ों में करीब 1200 लोगों की मौत वन्यजीव हमलों में हुई है।

इसमें अकेले गुलदार के हमलों में लगभग 550 मौतें हुईं, जबकि भालू के हमलों में करीब 70 लोगों की जान गई।

ताजा घटना की पूरी जानकारी

मंगलवार तड़के सुबह 5:30 बजे, देव सिंह शौच के लिए घर से बाहर निकले थे।

उनके घर से करीब 300 मीटर दूर जंगल में गुलदार ने उन पर हमला किया।

शिकार के दौरान उनकी चीख तक किसी ने नहीं सुनी।

घटना के बाद गुलदार ने उन्हें घसीटते हुए जंगल में ले गया।

पत्नी ऊषा देवी और पालतू कुत्ता खोजबीन के लिए जंगल की ओर दौड़े।

ग्रामीण भी एकजुट हुए और कुछ ही देर में देव सिंह का शव खून से लथपथ जंगल में मिला।

मृतक पीछे अपनी पत्नी और दो बच्चों को छोड़ गए।

मानसिक और शारीरिक चोट का आंकड़ा

वन्यजीव हमलों में सिर्फ मौतें ही नहीं, बल्कि घायलों की संख्या भी चिंताजनक है।

गुलदार के हमलों में करीब 2127 लोग घायल हुए हैं,

जबकि भालू के हमलों में 1970 से 2013 के बीच कई लोग घायल हुए।

ये लोग शारीरिक रूप से तो बच गए, लेकिन मानसिक और भावनात्मक घाव उन्हें आजीवन प्रभावित करते हैं।

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