रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

उत्तराखंड में मानव-वन्यजीव संघर्ष पर जताई नाराजगी

पौड़ी में कांग्रेस का उग्र प्रदर्शन, सरकार पर पहाड़ खाली कराने का आरोप

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने सरकार को दी चेतावनी

उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में मानव-वन्यजीव संघर्ष अब एक गंभीर जनसुरक्षा संकट का रूप ले चुका है।

भालू, गुलदार और बाघ जैसे जंगली जानवर लगातार रिहायशी इलाकों में घुस रहे हैं, जिससे ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।

हालात ऐसे हैं कि लोग खेती-बाड़ी, पशुपालन और बागवानी से दूर होते जा रहे हैं।

इसी मुद्दे को लेकर मंगलवार को पौड़ी गढ़वाल में कांग्रेस ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

इस प्रदर्शन की अगुवाई गणेश गोदियाल ने की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए

आरोप लगाया कि वन्यजीवों के बढ़ते हमलों ने पहाड़ों में रह रहे लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है।

“पहले बेरोजगारी, अब जान का खतरा”

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए गणेश गोदियाल ने कहा कि पहाड़ पहले ही बेरोजगारी, शिक्षा

और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं

और अब जंगली जानवरों का आतंक लोगों की जान पर बन आया है।

“जो लोग किसी तरह गांवों में टिके हुए हैं, वे भी डर के साए में जी रहे हैं। सरकार की नीतियां सिर्फ कागजों तक सीमित हैं।”– गणेश गोदियाल

खेत सूने पड़े, महिलाएं जंगल जाने से डर रहीं

ग्रामीण इलाकों से आ रही रिपोर्ट्स के मुताबिक कई गांवों में लोग खेतों पर जाना छोड़ चुके हैं।

महिलाएं जंगल से चारा लाने में खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं।

पशुपालकों का कहना है कि मवेशियों पर लगातार हो रहे हमलों से उनकी आय लगभग खत्म हो चुकी है।

स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि शिकायतों के बावजूद वन विभाग की कार्रवाई बेहद धीमी है।

सरकार पर गंभीर लापरवाही के आरोप

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि सरकार केवल बैठकों और समीक्षा तक सीमित रह गई है।

जमीनी स्तर पर न तो निगरानी बढ़ाई जा रही है और न ही संवेदनशील इलाकों में प्रभावी गश्त हो रही है।

जिला पंचायत सदस्य पूनम कैंतुरा ने कहा कि जहां-जहां गुलदार की सक्रियता है,

वहां तत्काल नियंत्रण के स्पष्ट आदेश जारी किए जाने चाहिए।

आंदोलन और तेज करने की चेतावनी

गणेश गोदियाल ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि यदि सरकार अब भी नहीं चेती, तो कांग्रेस आंदोलन को और अधिक व्यापक और विशाल रूप देगी।

उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में बाघ और अन्य जंगली जानवरों से

जुड़ी घटनाओं में तेजी से इजाफा हुआ है, इसके बावजूद सरकार जानबूझकर ठोस कदम नहीं उठा रही।

उन्होंने सुझाव दिया कि रिहायशी इलाकों के आसपास डाले जा रहे कूड़े को कूड़ा वैन के

माध्यम से तुरंत उठाकर निर्धारित डंपिंग जोन में पहुंचाया जाए।

इससे सरकार का यह तर्क भी कमजोर होगा कि भालू केवल कचरे की वजह से

आबादी वाले इलाकों में आ रहे हैं।

गोदियाल ने यह भी आरोप लगाया कि जब-जब विपक्ष धरना या प्रदर्शन करता है,

तब जिम्मेदार आला अधिकारी मौके से गायब दिखाई देते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ बयानबाजी कर रही है, जबकि जमीनी स्तर पर कोई भी अधिकारी जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है।

इसके साथ ही जानवरों को बेहोश कर टैगिंग और जीपीएस के माध्यम से जंगली जानवरों की लोकेशन ट्रेस की जा सकती है।

क्यों बढ़ रहा है मानव-वन्यजीव संघर्ष

वन विशेषज्ञों का मानना है कि जंगलों में भोजन की कमी, बढ़ता मानवीय दखल

और रिहायशी इलाकों के पास कचरे की उपलब्धता के कारण जंगली

जानवर आबादी की ओर बढ़ रहे हैं। इसके बावजूद सरकार की ओर से अब तक कोई ठोस और दीर्घकालिक नीति सामने नहीं आई है।

https://regionalreporter.in/new-strict-rules-for-pet-dogs-in-dehradun/
https://youtu.be/4YpBHDqdgKM?si=TDTPufg7N60xUWoH
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: