- IISc बेंगलुरु और IIT बॉम्बे टॉप-3 में
- टॉप 10 में सिर्फ IIT रूड़की
शिक्षा मंत्रालय ने गुरुवार, 04 सितम्बर को नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2025 जारी कर दी है। ओवरऑल कैटेगरी में IIT मद्रास ने लगातार 7वीं बार पहला स्थान हासिल किया। IISc बेंगलुरु को दूसरा और IIT बॉम्बे को तीसरा स्थान मिला।
आर्किटेक्चर एवं प्लानिंग श्रेणी में आईआईटी रुड़की लगातार चौथे साल देशभर में टॉप पर है। जबकि इंजीनियरिंग में छठी रैंक को कायम रखा है। इसके अलावा ओवरऑल टॉप-100 में यूपीईएस देहरादून पिछली बार की तुलना में पांच पायदान नीचे 64वें स्थान पर रहा है।
ग्राफिक एरा ने दो स्थान ऊपर 72 वीं रैंक हासिल की है। एम्स ऋषिकेश ने एक पायदान का सुधार कर 78वां स्थान हासिल किया। वहीं, सबसे बड़ा झटका पंतनगर विवि को लगा है।
संस्थान विश्वविद्यालय स्तर की टॉप-100 सूची में स्थान नहीं बना पाया है। स्टेट पब्लिक यूनिवर्सिटी में भी छह रैंक नीचे 38वें स्थान पर आ गया है।
वहीं, विश्वविद्यालय श्रेणी में यूपीईएस एक स्थान ऊपर खिसकर 45वीं, ग्राफिका एरा चार स्थान ऊपर 44 वीं रैंक पर पहुंच गया है।
टॉप-10 इंस्टीट्यूट्स (ओवरऑल)
- IIT मद्रास
- IISc बेंगलुरु
- IIT बॉम्बे
- IIT दिल्ली
- IIT कानपुर
- IIT खड़गपुर
- IIT रुड़की
- AIIMS दिल्ली
- IIT (BHU) वाराणसी
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU)
यूनिवर्सिटी कैटेगरी
- पहला स्थान – IISc बेंगलुरु
- दूसरा – JNU
- तीसरा – मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन
मैनेजमेंट कैटेगरी
- IIM अहमदाबाद (पहला)
- IIM बैंगलोर (दूसरा)
- IIM कोझिकोड (तीसरा)
कॉलेज कैटेगरी
- हिंदू कॉलेज (दिल्ली)
- मिरांडा हाउस
- हंसराज कॉलेज
- किरोड़ी मल कॉलेज
- सेंट स्टीफेंस कॉलेज
मेडिकल कैटेगरी
- पहला स्थान – AIIMS दिल्ली
- दूसरा – PGIMER चंडीगढ़
- तीसरा – CMC वेल्लोर
NIRF रैंकिंग का महत्व
NIRF की शुरुआत 2016 में हुई थी। इसका मकसद भारतीय संस्थानों की रैंकिंग शिक्षण गुणवत्ता, रिसर्च, ग्रेजुएशन आउटकम्स, आउटरीच और पीयर परसेप्शन जैसे पैरामीटर्स पर तय करना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस रैंकिंग से छात्रों को बेहतर विकल्प चुनने में मदद मिलती है और संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ती है।
क्यों होती है NIRF रैंकिंग
- छात्रों के लिए गाइडलाइन – कौन सा कॉलेज या यूनिवर्सिटी पढ़ाई, रिसर्च और प्लेसमेंट के लिहाज से बेहतर है, यह जानकारी छात्रों को मिलती है। इससे उन्हें सही संस्थान चुनने में आसानी होती है।
- संस्थानों की क्वालिटी सुधारने के लिए – कॉलेज और यूनिवर्सिटीज़ अपनी रैंक सुधारने के लिए टीचिंग, रिसर्च, इंफ्रास्ट्रक्चर और समावेशिता पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
- सरकार को पॉलिसी बनाने में मदद – शिक्षा मंत्रालय को ये पता चलता है कि किन संस्थानों को ज्यादा सपोर्ट, फंडिंग या सुधार की जरूरत है।
- इंटरनेशनल लेवल पर पहचान – NIRF से भारतीय संस्थानों की ग्लोबल लेवल पर एक विश्वसनीय इमेज बनती है, क्योंकि ये सरकारी और ट्रांसपेरेंट रैंकिंग होती है।
कैसे तय होती है रैंकिंग?
NIRF में पांच बड़े पैरामीटर होते हैं –
- Teaching, Learning & Resources (TLR) – फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर और लर्निंग रिसोर्सेज।
- Research & Professional Practice (RP) – रिसर्च, पब्लिकेशन, पेटेंट्स।
- Graduation Outcomes (GO) – स्टूडेंट्स का रिजल्ट और प्लेसमेंट।
- Outreach & Inclusivity (OI) – महिला, गरीब, दिव्यांग और अलग राज्यों/देशों से आए छात्रों की संख्या।
- Perception (PR) – इंडस्ट्री और एकेडमिक पियर का ओपिनियन।
यानी NIRF का मकसद सिर्फ रैंक देना नहीं, बल्कि भारत की उच्च शिक्षा को ट्रांसपेरेंट, प्रतिस्पर्धी और बेहतर बनाना है।
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