अब आगे के गाँवों का करेगी भ्रमण
कालीमाई पंचगांई समिति, कालीमठ एवं श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति, ऊखीमठ के संयुक्त तत्वावधान में
आयोजित भगवती कालीमाई की विशाल देवरा पद यात्रा ने चौदह दिवसीय प्रवास के बाद
ब्यूंखी गाँव का दूसरे दिन का भ्रमण पूर्ण कर कुणजेठी गाँव में प्रवेश किया।
यहाँ यात्रा दल ने मनणामाई मंदिर में रात्रि विश्राम किया।
गाँवों में यात्रा का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया गया।
ब्यूंखी में दो दिवसीय प्रवास, श्रद्धा और परंपरा का संगम
यात्रा दल ने ब्यूंखी में अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान जाबर तोक, इजर तोक, पंदेरा की देवी भगवती माता,
स्थानीय खेत (द्योका), विद्यालयों तथा मुख्य गाँव का भ्रमण किया।
इस दौरान ग्रामीणों ने पूर्ण श्रद्धा के साथ अर्घ्य, जौ, तिल, चावल, अन्न और मौसमी फलों से माता की पूजा-अर्चना की।
ब्रह्म मुहूर्त में परंपरानुसार विभिन्न जड़ी-बूटियों से माता का स्नान, नए वस्त्र एवं भव्य श्रृंगार किया गया।
पूरे वातावरण में भक्ति, आस्था और सामूहिक सहभागिता की अद्भुत झलक देखने को मिली।
आगे की यात्रा का विस्तृत कार्यक्रम
देवरा पद यात्रा अब अपने आगामी पड़ावों की ओर प्रस्थान करेगी।
यात्रा कालीमठ के गूंठ गाँवों जग्गी और बेडूला का भ्रमण करेगी।
इसके बाद राऊं लेंक की भगवती मैखंडा माई तथा सरुणा की काली भगवती के स्थानों पर परंपरागत दर्शन होंगे।
यात्रा मनसूना, ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ, चुन्नी मंगोली सहित विभिन्न स्थानों पर
31 दिसंबर 2025 तक भक्तों को आशीर्वाद देती रहेगी।

इसके पश्चात यात्रा भीरी, चंद्रपुरी, अगस्त्यमुनि, रुद्रप्रयाग और धारी देवी होते हुए
10–11 जनवरी 2026 तक श्रीनगर पहुँचेगी।
12 जनवरी को बागवान में विश्राम तथा 13 जनवरी को सायं देवप्रयाग आगमन होगा।
मकर संक्रांति पर ऐतिहासिक गंगा स्नान
14 जनवरी 2026 (मकर संक्रांति) के पावन अवसर पर ब्रह्म मुहूर्त में देवप्रयाग में
माँ कालीमाई का विशेष मंगल गंगा स्नान होगा।
विधि-विधान से पूजन के उपरांत रघुनाथ मंदिर, देवप्रयाग से यात्रा की कालीमठ वापसी प्रारंभ होगी और 15 जनवरी 2026 को श्रीनगर पहुँचेगी।
पदाधिकारियों ने जताया आभार
- लखपत सिंह राणा (अध्यक्ष, कालीमाई पंचगांई समिति):
“ब्यूंखी क्षेत्र के भक्तों का अतुलनीय प्रेम और सहयोग इस यात्रा की सफलता का आधार है।” - सुरेशानंद गौड़ (महामंत्री):
“यह यात्रा जन-जन की आस्था का प्रतीक है। ग्रामीणों के सहयोग के लिए हार्दिक आभार।” - आचार्य भगवती देवशाली:
“संस्कृति और परंपरा को जीवित रखने में ग्रामीणों की भूमिका प्रशंसनीय है।” - प्रकाश पुरोहित (प्रबंधक, बीकेटीसी):
“यह यात्रा दो महान तीर्थों की आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है।” - बलवीर रौथाण (समिति सदस्य):
“हर गाँव में मिला आत्मीय स्वागत हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।”
सांस्कृतिक–धार्मिक एकता का जीवंत दस्तावेज
यह देवरा पद यात्रा क्षेत्र की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक परंपरा और सामाजिक एकता का सशक्त उदाहरण है,
जो मकर संक्रांति पर देवप्रयाग में अपने ऐतिहासिक शिखर पर पहुँचेगी।
इस अवसर पर समिति पदाधिकारी, आचार्यगण, देवरा यात्री एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।















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