ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली

आचार संहिता खत्म होने के बाद अब मूल निवास स्वाभिमान महारैली का होगा पुनः आगाज
चारधाम में अव्यवस्थाओं को लेकर स्थानीय रोजगार प्रभावित
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

मूल निवास, भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति गैरसैंण में प्रस्तावित मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन की तैयारी में जुट गई है। समिति इसी हफ्ते गैरसैंण में एक अहम बैठक करने जा रही है। इसके साथ ही समिति ने चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्थाओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया।

मूल निवासियों का रोजगार बुरी तरह से प्रभावित
देहरादून स्थित शहीद स्मारक में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि आचार संहिता में अनुमति न मिलने के कारण मूल निवास स्वाभिमान महारैली को रोकना पड़ा परन्तु अब गैरसैंण में महारैली होनी है। प्रदेश भर से गैरसैण में भी हजारों-हजार लोग इस आंदोलन का हिस्सा बनेंगे।

इसके साथ ही उन्होंने चारधाम यात्रा में हो रही अव्यवस्था के लिए सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन न होने से मूल निवासियों का रोजगार बुरी तरह प्रभावित हो गया है।

उन्होंने रजिस्ट्रेशन की सभी तरह की बाध्यता खत्म करने की मांग की है। साथ ही कहा कि सरकार को यात्रा प्रबंधन के लिए व्यवस्थाएं और बेहतर करनी चाहिए।

यात्रियों को नहीं रोका जाना चाहिए। इनसे सभी तरह के व्यवसायियों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। समिति यात्रा से प्रभावित हो रहे व्यवसायियों से मुलाकात करेगी।

हरिद्वार और ऋषिकेश में रजिस्ट्रेशन के नाम पर यात्रियों से पैसा वसूलने की शिकायतें मिल रही हैं। हेलीकाॅप्टर टिकट की ऑनलाइन बुकिंग नहीं हो रही। लेकिन टिकटों की ब्लैक मार्केटिंग जारी है।

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थार के बजाय एम्बुलेंस की हो व्यवस्था
समिति के कोर मेंबर प्रांजल नौडियाल ने कहा कि केदारनाथ में विकलांगों और बीमार लोगों की सुविधा के नाम पर थार पहुँचाई गई है। लेकिन यहां वीआईपी लोगों की सुविधा के लिए थार का उपयोग हो रहा है। थार से बेहतर यहां एम्बुलेंस की व्यवस्था होनी चाहिए थी।

बिना अनुमति भवन-दुकानें तोड़े गए अभी तक न मुआवजा और न पुनर्वास
सह-संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि मास्टर प्लान के नाम पर बदरीनाथ में मूल निवासियों की अनुमति के बिना भवन-दुकानें तोड़ी गई। लेकिन अभी तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया और ना ही उनके पुनर्वास किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि मास्टर प्लान के दायरे से बाहर के भवन भी तोड़ने की तैयारी चल रही है। मूल निवासियों को बेघर करने की सरकार की मंशा स्पष्ट दिखाई दे रही है।

उत्तराखण्ड क्रांति दल की महामंत्री मीनाक्षी घिल्डियाल ने खलंगा के जंगल को काटने की योजना का हवाला देते हुए जल, जंगल जमीन को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए। राष्ट्रीय रीजनल पार्टी के अध्यक्ष शिव प्रसाद सेमवाल और समिति के कोर मेंबर प्रमोद काला आंदोलन की एकजुटता पर जोर दिया।

समिति के सदस्य प्रमोद काला, देवचंद उत्तराखंडी, अनिल डोभाल, विपिन नेगी, योगेंद्र रावत, प्रभात डंडरियाल, अंशुल भट्ट ने कहा कि आज अपने ही राज्य में मूल निवासी हाशिये पर हैं। सभी तरह के संसाधन मूल निवासियों के हाथ से निकलते जा रहे हैं। अब यात्रा से जुड़े मूल निवासियों का रोजगार भी प्रभावित हो गया है। यह हम सभी के लिए चिंता का विषय है।

https://youtu.be/e3cZ8ynvoV0?si=sPPP8oq7gDE4Ntra
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