सरकार के खिलाफ परिवहन व्यवसायियों का विरोध तेज
उत्तराखंड सरकार की नीतियों के खिलाफ अब गढ़वाल परिक्षेत्र के कमर्शियल ट्रांसपोर्ट कारोबारी खुलकर विरोध में उतर आए हैं।
अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 29 अक्टूबर को एक दिवसीय चक्का जाम का ऐलान किया गया है। इस दौरान एंबुलेंस, दूध और अन्य आपातकालीन सेवाओं को छूट दी जाएगी।
प्रेस विज्ञप्ति जारी कर उन्होंने बताया कि, सरकार लगातार नए नियम थोप रही है और टैक्सों में भारी वृद्धि कर रही है। वहीं, निजी वाहनों के व्यावसायिक उपयोग पर कोई रोक नहीं लगाई जा रही।
पर्वतीय टैक्सी मैक्सी महासंघ सचिव महावीर बहुगुणा ने कहा कि संघ द्वारा पुरजोर विरोध किया गया एवं समय समय पर शासन को इस संबंध में ज्ञापनों के माध्यम से अवगत भी कराया गया था परन्तु सरकार द्वारा किसी भी बात का संज्ञान नहीं लिया गया।
पिछले 40 दिनों से ऋषिकेश में धरना प्रदर्शन चल रहा है, लेकिन सरकार ने अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया है।
उन्होंने कहा, “यह आंदोलन सभी वाहन स्वामियों के हित के लिए है। इसलिए हर चालक और मालिक से अनुरोध है कि 29 अक्टूबर को अपना वाहन न चलाएं। यदि कोई वाहन संचालित होता है, तो उसकी पूरी जिम्मेदारी वाहन स्वामी या चालक की होगी।”
चक्का जाम को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड परिवहन महासंघ के बैनर तले विभिन्न यूनियनों बस, ट्रक, टैक्सी, डंपर, ऑटो, ई-रिक्शा और टेंपो संगठनों के पदाधिकारियों ने टीजीएमओ कार्यालय में बैठक की।
बैठक में महासंघ के अध्यक्ष सुधीर राय ने बताया कि आंदोलन में श्रीनगर, जोशीमठ, रुद्रप्रयाग, चमोली, देहरादून, मसूरी, उत्तरकाशी, टिहरी और पौड़ी जिलों की परिवहन संस्थाएं शामिल होंगी।
उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो कुमाऊं क्षेत्र को भी इस आंदोलन में शामिल किया जाएगा।
कारोबारियों की प्रमुख मांगें
- ऋषिकेश स्थित एआरटीओ कार्यालय के फिटनेस सेंटर को तुरंत चालू किया जाए।
- चारधाम यात्रा न चलने की वजह से दो साल के टैक्स में छूट दी जाए।
- हर साल 5% टैक्स वृद्धि नियम को खत्म किया जाए।
- ऑल इंडिया परमिट वाहनों पर वही नीति लागू की जाए, जो राज्य में रजिस्टर्ड वाहनों पर लागू होती है।















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