असम में पीएम मोदी का कांग्रेस पर बड़ा हमला
नामरूप परियोजना के मंच से पीएम मोदी का आरोप- “वोट बैंक के लिए असम की पहचान से समझौता”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार, 21 दिसंबर को असम के डिब्रूगढ़ जिले में
एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोला।
पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि
कांग्रेस ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को असम में बसाया और उनकी रक्षा की,
सिर्फ अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को असम की संस्कृति, पहचान और मूल निवासियों से कोई सरोकार नहीं है।
प्रधानमंत्री यह बयान नामरूप में 10,000 करोड़ रुपये की ब्राउनफील्ड अमोनिया‑यूरिया परियोजना की आधारशिला रखने के बाद दे रहे थे।
इस परियोजना से सालाना 12.7 लाख मीट्रिक टन यूरिया उत्पादन होगा और इसे 2030 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है।
“कांग्रेस को अवैध घुसपैठिए पसंद हैं” : पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि कांग्रेस आज भी अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ चल रही
प्रक्रियाओं का विरोध कर रही है, क्योंकि इससे उसका वोट बैंक प्रभावित होता है।
उन्होंने कहा,
“असम की जमीनों और जंगलों में अवैध रूप से लोगों को बसाया गया।
इससे मूल निवासी समुदाय कमजोर हुआ, लेकिन कांग्रेस को केवल सत्ता की चिंता रही।”
प्रधानमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने जगीरोड (मोरीगांव) में प्रस्तावित सेमीकंडक्टर यूनिट का विरोध कर विकास को रोकने की कोशिश की।
असम में बांग्लादेशी घुसपैठ: पूरा ऐतिहासिक संदर्भ
1947 से 1971: शरणार्थी बनाम घुसपैठ
भारत‑पाकिस्तान विभाजन (1947) और फिर 1971 के युद्ध के दौरान,
जब शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में बांग्लादेश बना, तब धार्मिक और राजनीतिक उत्पीड़न से पीड़ित अल्पसंख्यक समुदायों के लोग असम सहित भारत के कई हिस्सों में आए।
इन लोगों को शरणार्थी के रूप में स्वीकार किया गया, न कि अवैध प्रवासी के रूप में।
25 मार्च 1971: कानूनी कट‑ऑफ तारीख
1985 में हुए असम समझौता के तहत यह स्पष्ट किया गया कि
- 25 मार्च 1971 से पहले आए लोग वैध माने जाएंगे
- इसके बाद आने वाले लोग अवैध प्रवासी माने जाएंगे, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो
यही आधार आगे चलकर NRC और अन्य पहचान प्रक्रियाओं की नींव बना।
कांग्रेस बनाम भाजपा: राजनीति का केंद्र बना प्रवास मुद्दा
पीएम मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार असम की पहचान, भाषा और संस्कृति की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है।
उन्होंने भूपेन हजारिका को भारत रत्न दिए जाने और चाय बागान समुदाय को
भूमि अधिकार मिलने का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक इन समुदायों को नजरअंदाज किया।
















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