रामजी की लीला अपरम्पार

अरविंद शेखर

रामजी की लीला अपरंपार है। बचपन में भजन सुनते थे- तेरा रामजी करेंगे बेड़ा पार उदासी मन काहे को डरे। कुछ दिन हुए रामजी की कृपा से हरिद्वार की जेल के दो बंदियों का बेड़ा कारागार के भवसागर से पार पा हो गया। राम भक्ति में लीन वे जेल में हो रही राम लीला में रामभक्त बंदर बने थे। जय श्री राम के नारे लगाते हुए उन्होंने राम राम जपते हुए जेल की दीवार पर अवलंब (सीढ़ी) लगाया।

तुलसीदास कह ही गए हैं- राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस। बरषत वारिद-बूँद गहि, चाहत चढ़न अकास॥ वैसे सूर भी कह गए हैं- जाकी कृपा पंगु गिरि लंघै, जो जेल की छोटी सी दीवार कौन बड़ी बात है। फिर राम तो कण-कण में हैं। क्या जेल के भीतर क्या जेल के बाहर। बाबा तुलसी ही कह गए हैं-जाति हीन अघ जन्म महि, मुक्त कोन्हि असि नारि। महामंद मन सुख चहसि, ऐसे प्रभुहि बिसारि॥ निम्न जाति और पापों की जन्मभूमि जैसी स्त्री (शबरी) को भी जिन्होंने मुक्त कर दिया, अरे महामूर्ख मन जेल के कैदी की मुक्ति की क्या बात है। स्टेन स्वामी और जीएन साईबाबा भी अगर राम नाम जप लेते तो अभी इसी मृत्युलोक में जीवित होते।

देश में राम राज है। कहीं झांसाराम हैं, कहीं आसा राम तो कहीं राम रहीम। राम-राम जपकर इनके श्रीचरणों से यह जंबूद्वीप स्वर्गलोक हो गया है। मुंह में राम बगल में छुरी और राम-राम जपना पराया माल अपना वाले झांसाराम राजपद पाए हुए हैं। बाकी राम जाने मगर बकौल तुलसी-नाम गरीबनिवाज को, राज देत जन जानि। तुलसी मन परिहरत नहिं , धुरविनिआ की वानि॥
यानी गरीब नवाज श्री राम का नाम ऐसा है, जो जपने वाले को भगवान का निज जन जानकर राज्य (प्रजापति का पद या मोक्ष साम्राज्य तक) दे डालता है। परंतु अपने बारे में क्या कहूं यह मन ऐसा अविश्वासी और नीच है कि घूरे (कूड़े के ढेर) में पड़े दाने चुगने की ओछी आदत नहीं छोड़ता और गंदे विषयो में ही सुख खोजता है)। अपन तो यही सोचते हैं जाहि विधि राखे राम, ताहि विधि रहिए। गाते रहें- आदा-पादा किसने पादा रामजी की घोड़ी ने पादा।

जिस दल-बदल ने कभी आयाराम गयाराम की बदनामी सिर पर डाल ली थी, वही अब बस एक सियासी जमात की रामनामी ओढ़नी ओढ़ लेने पर राष्ट्रसेवा हो जाती है। राम का नाम लेने पर सारे पाप कट जाते हैं,पाप का ही राम नाम सत्य हो जाता है। अपन अडानी तो हैं नहीं। राम राज पर तुलसी कह गए हैं-तुलसी रामहु तें अधिक, राम भगत जियें जान। रिनिया राजा राम में, धनिक भए हनुमान॥ यानी श्री राम के भक्त को राम जी से भी अधिक समझें।

राजराजेश्वर श्री रामचंद्र जी स्वयं ऋणी हो गए और उनके भक्त श्री हनुमान जी उनके साहूकार बन गए श्री राम ने यहाँ तक कह दिया कि मैं तुम्हारा ऋण कभी चुका ही नहीं सकता।अब अडानी दुनिया के सबसे बड़े सेठों में यूं ही शुमार नहीं हो गए। जय श्री राम राम का घोष करते लोगों को ही आज देखिए गले में मोटी सोने की चेन और बंगला गाड़ी। यूं ही नहीं कहते तुलसी राम कृपालु सों, कहि सुनाउ गुन दोष। होय दूबरी दीनता, परम पीन संतोष॥

हाल में गौरी लंकेश के कातिलों का फूलमालाओं से स्वागत हुआ। इसके पहले बिलिकिस बानों के बलात्कारियों की अगवानी में लड्डू बांटे गए। कठुआ में आसिफा के बलात्कारियों के समर्थन में जुलूस निकला। आपको क्या लगता है सब ऐसे ही हो गया। अब इनके पैर पूजे जाते हैं।

घर-घर माँगे टूक पुनि, भूपति पूजे पाय। जे तुलसी तब राम बिनु, ते अब राम सहाय॥ तुलसी कहते हैं , जिस समय मैं राम से (श्री राम के आश्रय से) रहित था, उस समय घर-घर टुकड़े माँगता था। अब जो श्री राम जी मेरे सहायक हो गए हैं तो फिर राजा लोग मेरे पैर पूजते हैं
हरन अमंगल अघ अखिल, करन सकल कल्यान।
रामनाम नित कहत हर, गावत बेद पुरान॥
राम नाम सब अमंगलों और पापों को हरने वाला तथा सब कल्याणों को करने वाला है। इसी से श्री महादेव जी सर्वदा श्री राम नाम को रटते रहते हैं और वेद-पुराण भी इस नाम का ही गुण गाते हैं।
इसीलिए अपन राम काज करिबै को आतुर हैं।
। जय सिरी राम ।

https://regionalreporter.in/omar-abdullah-took-oath-as-the-first-chief-minister/
https://youtu.be/kYpAMPzRlbo?si=9hAdFrCddrS1lC7z
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: