LAC और LOC के पास बसे गांवों को मिलेगा आरक्षण का लाभ
केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए 52 गांवों को आरक्षित क्षेत्र घोषित किया है। इनमें 18 गांव लेह जिले से और 34 गांव कारगिल जिले से हैं, जो चीन और पाकिस्तान की सीमाओं के नजदीक हैं। इस फैसले का उद्देश्य इन गांवों के निवासियों को नौकरी और अन्य क्षेत्रों में आरक्षण का लाभ देना है।
29 जून को जारी हुआ नोटिफिकेशन
लद्दाख प्रशासन ने 29 जून को एक नोटिफिकेशन जारी कर यह जानकारी दी। इस फैसले को “लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियमन, 2025” के तहत एक उपलब्धि के रूप में बताया गया है। अधिसूचना के मुताबिक, इन गांवों के निवासी अब संशोधित आरक्षण नियमों के तहत विभिन्न सरकारी लाभ ले सकेंगे।
लद्दाख में लागू हुई नई आरक्षण नीति
यह घोषणा रिटायर्ड जज बंसी लाल भट्ट की अध्यक्षता वाली एक सदस्यीय आयोग की सिफारिशों के आधार पर की गई है। इस आयोग को सीमावर्ती गांवों की पहचान करने का जिम्मा सौंपा गया था। दिसंबर 2024 में आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसके बाद एक आंतरिक समिति ने रिपोर्ट की समीक्षा कर सिफारिशों को स्वीकार कर लिया।
2 जून 2025 से लद्दाख में नई आरक्षण नीति लागू की गई। यह नीति मार्च 2025 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर की गई थी। इसके तहत अनुसूचित जनजाति को 85% और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को अलग से आरक्षण दिया गया है। साथ ही सीमावर्ती गांवों के निवासियों को 4% आरक्षण का लाभ मिलेगा।
नए संशोधन के प्रमुख प्रावधान
संशोधन लद्दाख आरक्षण (संशोधन) विनियमन, 2025 के तहत किया गया है। यह जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 की धारा 23 के तहत लाया गया है।
इसका उद्देश्य आरक्षण श्रेणियों को फिर से तय करना और भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीय कानूनों के अनुरूप बनाना है। मुख्य सचिव डॉ. पवन कोटवाल ने बताया कि इस नीति में ‘दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016’ को भी शामिल किया गया है।
नौकरियों और पदोन्नति दोनों में बदलाव
प्रत्यक्ष भर्ती में अब अनुसूचित जाति को 1%, अनुसूचित जनजाति को 80%, सीमावर्ती क्षेत्र के निवासियों को 4% और EWS को 10% आरक्षण मिलेगा। साथ ही क्षैतिज आरक्षण के अंतर्गत पूर्व सैनिकों को 6% और दिव्यांगजनों को 4% आरक्षण दिया जाएगा।
नौकरियों और पदोन्नति के लिए 100-बिंदु चल रोस्टर प्रणाली लागू की गई है, जिससे आरक्षण की पारदर्शिता बनी रहे।
यह अधिसूचना लद्दाख के सामाजिक ढांचे में बदलाव लाने वाली मानी जा रही है। इससे सीमावर्ती इलाकों के युवाओं को शिक्षा और रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे। साथ ही, इन क्षेत्रों में लोगों की भागीदारी बढ़ेगी, जिससे सुरक्षा के लिहाज से भी मदद मिलेगी। यह फैसला लंबे समय से की जा रही स्थानीय मांगों की पूर्ति के रूप में देखा जा रहा है।
