एक प्रश्न हटाने और दो प्रश्नों के सही विकल्प मानने का आदेश, नई वरीयता सूची होगी जारी
Uttarakhand High Court ने उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित
उत्तराखंड न्यायिक सेवा सिविल न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) परीक्षा–2023 के
प्रारंभिक परिणाम को लेकर अहम फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट ने आयोग को परीक्षा के परिणाम का फिर से मूल्यांकन करने के निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने एक प्रश्न को मूल्यांकन से हटाने और दो अन्य प्रश्नों के सही विकल्प मानते हुए
अभ्यर्थियों के उत्तरों का पुनर्मूल्यांकन करने को कहा है।
इसके साथ ही यूपीएससी रेगुलेशन–2022 के अनुसार नई वरियता सूची प्रकाशित करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
याचिका और सुनवाई का पूरा मामला
यह आदेश उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले परीक्षा अभ्यर्थी सूर्यांश तिवारी की याचिका पर दिया गया।
याचिका में प्रारंभिक परीक्षा के दौरान सीरीज-ए बुकलेट में पूछे गए कुछ प्रश्नों को चुनौती दी गई थी।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष हुई।
आयोग ने भी मानी गलती
सुनवाई के दौरान आयोग की ओर से अधिवक्ता ने स्वीकार किया कि विशेषज्ञों की राय के आधार पर
आयोग द्वारा दिया गया उत्तर गलत था।
अभ्यर्थियों की आपत्ति को वैध मानते हुए स्वीकार कर लिया गया।
आयोग के सचिव अशोक कुमार पांडे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से
न्यायालय में पेश हुए और अदालत को आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराई।
याचिकाकर्ता का पक्ष
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अभिजय नेगी ने तर्क दिया कि मूल्यांकन के दौरान जिस प्रश्न में अस्पष्टता थी,
उसे आयोग को पहले ही हटा देना चाहिए था।
किसी भी अभ्यर्थी को परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था की गलती
या अस्पष्ट प्रश्न के कारण नुकसान नहीं उठाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला
हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि
यदि उत्तरकुंजी स्पष्ट रूप से गलत हो या किसी प्रश्न के एक से अधिक सही उत्तर हों,
तो न्यायालय ऐसे प्रश्नों को मूल्यांकन से बाहर रखने का निर्देश दे सकता है।
ऐसे मामलों में अंकों का निर्धारण स्थापित नियमों के अनुसार किया जाना चाहिए, न कि मनमाने तरीके से।
रेगुलेशन–2022 के अनुसार कार्रवाई
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2022 के रेगुलेशन में यह प्रावधान है
कि यदि कोई प्रश्न संरचनात्मक रूप से दोषपूर्ण हो, तो उसे प्रश्न पत्र से हटाया जाएगा
और शेष प्रश्नों के अंक आनुपातिक रूप से बढ़ाए जाएंगे, ताकि कुल अधिकतम अंक अपरिवर्तित रहें।
परीक्षा और परिणाम का विवरण
गौरतलब है कि आयोग द्वारा पीसीएस-जे प्रारंभिक परीक्षा का आयोजन 31 अगस्त 2025 को किया गया था।
इसका प्रारंभिक परिणाम 31 अक्टूबर 2025 को घोषित किया गया,
जिसमें 83 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया था।
अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिणाम और मेरिट सूची में बदलाव संभव है।
















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