काश हम सब कुछ सीख पाएं

बीते 15-16 फरवरी को श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित किया गया किताब-कौतिक का आयोजन भले ही हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के कुछेक छात्र नेताओं तथा आरएसएस के कुछ सदस्यों की हेकड़ी के चलते श्रीनगर गढ़वाल में आयोजित नहीं हो पाया, लेकिन अब गैरसैंण में चल रहा आयोजन सुखद आभास देता है।

सुखद इस बाबत कि इसके लिए ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण नगर पंचायत के अध्यक्ष मोहन सिंह भंडारी ने दूरदृष्टि का परिचय देकर आयोजित कराया है।

गैरसैंण नगर पंचायत तथा क्रिएटिव उत्तराखंड के समन्वित प्रयासों से यह आयोजन किया जा रहा है। 31 मार्च से 4 मार्च तक विभिन्न प्रकार की कार्यशालाओं का आयोजन किया गया है। जिसमें स्थानीय बच्चों ने खूब बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है, जो नगर पंचायत अध्यक्ष मोहन भंडारी के प्रयासों की सुखद परिणिति है।

किसी भी समाज में चेतना का प्रसार पुस्तकों की राह से होकर गुजरता है। निसंदेह जिन लोगों ने श्रीनगर गढ़वाल जैसे स्थान, जिसे शिक्षा की केंद्र स्थली कहा जाता है, में किताब-कौतिक जैसा आयोजन नहीं होने दिया, वे ज्ञान के दुष्मन ही हैं, लेकिन एक बार फिर यह बात आती है कि स्थानीय लोग इसके विरोध में सामने क्यों नहीं आए।

बीते वर्ष इन्हीं दिनों अंकिता भंडारी के माता-पिता अपनी बेटी के न्याय के लिए पीपलचैरी चैराहे में बैठकर आंदोलनरत थे। इन्हें भी स्थानीय जन समर्थन ना के बराबर मिला।

इस वर्ष एलयूसीसी कंपनी के द्वारा ठगी का शिकार हुई दर्जनों महिलाएं इसी स्थान पर बैठक आंदोलन कर रही हैं। हर रोज अपनी समस्याएं सुनाती महिलाएं भावुक होकर रो पड़ती हैं। आखिर संवेदनशील समझा जाने वाला मानव इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है कि उसे गलत और सही का फर्क ही मालूम न होता हो।

बचपन में पहली कहानी पढ़ी थी- सामूहिकता में शक्ति होती है। उमेश डोभाल स्मृति समारोह में पहुंचे लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी ने यहां भी यही बात कही कि आज के समय में हमें मिल-जुलकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है।

गलत के प्रतिकार में आवाजें नहीं आ रही, कदम नहीं बढ़ रहे, हाथ से हाथ नहीं मिल रहे। इसीलिए अंकिता जैसे प्रकरण, एलयूसीसी जैसी ठगी और किताब-कौतिक जैसे आयोजनों के निरस्त हो जाने जैसी घटनाएं यहां घटित हो रही हैं।

यह भूलना नहीं चाहिए कि संयुक्त अस्पताल के लिए हुए प्रचंड आंदोलन की जीत के फलस्वरूप ही आज वहां आ रहे रोगी स्वास्थ्य लाभ ले पा रहे हैं। कर्मयोगी आज भी अपने-अपने स्तर पर आंदोलनरत हैं।

श्रीनगर के पूर्व विधायक तथा बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष रहे गणेश गोदियाल मोबाइल फोन पर बच्चों के रमे रहने से भी अधिक विध्वंसकारी सभी आयु वर्गों के लोगों का मोबाइल पर टी-20 और आईपीएल मैचों में सट्टा लगाने की प्रवृत्ति से आहत हैं।

वे अपने भाषणों में बार-बार इस दिशा में चिंता जता रहे हैं। फिर जनता इस वाजिब चिंता को क्यों नहीं समझ पा रही है। सट्टे का यह खेल निसंदेह कभी लोगों के भविष्य को ले डूबेगा।

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ganga asnora
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