प्रतिस्पर्धा में सैनिक व नागरिक लेंगे भाग
भारतीय सेना और उत्तराखंड सरकार एक साथ मिलकर प्रस्तुत कर रहे हैं ‘ सूर्या देवभूमि चैलेंज’- एक अभूतपूर्व अल्ट्रा-एंड्योरेंस इवेंट जो हिमालय की विशालता के साथ मानवीय साहस को भी जोड़ता है।
अपनी ही तरह की यह पहली पेश्कश दो अदम्य ताकतों को एक साथ लाती है: जो कि है भारतीय सेना का अटूट साहस और भारत के अपराजेय साहसी लोगों की अथक भावना।
उत्तराखंड के ऊंचाई वाले, ऊबड़-खाबड़ इलाके में आयोजित, ‘सूर्या देवभूमि चैलेंज’ को मानवीय सहनशक्ति, मानसिक साहस और भावनात्मक शक्ति को उनके पूर्ण शिखर तक ले जाने के लिए तैयार किया गया है।
हिमालय की नाटकीय और विस्मयकारी पृष्ठभूमि के साथ , यह केवल एक एथलेटिक इवेंट नहीं है, बल्कि यह दृढ़ता, सहनशीलता और जीत हासिल करने के विश्वास कि यात्रा है।
सूर्या देवभूमि चैलेंज का प्रत्येक दिन शारिरिक सीमाओं को तोड़ने और अपने अदम्य साहस को प्रदर्शित करने का एक अभुतपूर्व प्रयास है जिसे कि अथक परिश्रम के साथ तैयार किया गया है।

यह आयोजन 18 अप्रैल को 110 किलोमीटर की ऊंचाई वाली जगह नेलॉन्ग से भटवाड़ी साइकिलिंग के साथ शुरू होगा, जिसमें खड़ी ढलान, अप्रत्याशित मौसम और चुनौतीपूर्ण पहाड़ी इलाके होंगे।
यह चरण अदम्य सहनशक्ति, और मानसिक दृढ़ता का परीक्षण करेगा। दूसरे दिन यानी 19 अप्रैल को सुबह की शुरुआत पर्वतीय हिमालयी रास्तों और खड़ी चढ़ाई पर भटवाड़ी से बूढ़ा केदार तक 37 किलोमीटर की रनिंग से होगी।
हर कदम पर ताकत, संतुलन और बुलंद हौसले की जरूरत होगी और अंतिम दिन यानी 20 अप्रैल को सोनप्रयाग से गुत्तू तक 32 किलोमीटर की कठिन दुर्गम मार्गो पर दौड़ के बाद भी 8 किलोमीटर की सड़क दौड़ प्रतिभागियों की परम सहनशीलता, धीरज और शारीरिक शक्ति का परीक्षण करेगी, क्योंकि वे विभिन्न ऊँचाइयों और इलाकों से होकर अपनी अंतिम परीक्षा में भाग लेंगे।
इसे भारत में आयोजित अब तक के सबसे कठिन प्रतियोगिता में से एक है। जिसमे शारीरिक कठोरता से परे एक गहरा उद्देश्य छिपा है।
यह वह आयोजन है जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत का उत्सव है साथ ही हमारे सशस्त्र बलों की वीरता और भारतीय लोगो के अथक परिश्रम का प्रतीक है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह चुनौती केवल सेना तक ही सीमित नहीं है, ‘सूर्या देव भूमि चैलेंज’ में नागरिको की भागीदारी भी उतनी ही महत्वपूर्न है, जिसमे देश भर के एथलीट, साहसी युवाओ को सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा करने के लिए आमंत्रित किया गया है, जो एकता, दृढ़ संकल्प और सहयोग की शक्तिशाली भावना का प्रतीक है।
इस प्रतिस्पर्धा में एक साथ मिलकर, सैनिक और नागरिक भाग लेंगे, पहाड़ों पर विजय प्राप्त करेंगे और भारतीयों के साहस का एक नया अध्याय लिखेंगे।