अंतरिक्ष में भारत के राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से पहला अभ्यास सोमवार, 11 नवंबर को दिल्ली में शुरू हुआ जिसमें प्रमुख सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष अब देश की रक्षा और सुरक्षा तंत्र का ‘महत्वपूर्ण संबल’ है।
रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि ‘अंतरिक्ष अभ्यास – 2024’, ‘मुख्यालय एकीकृत रक्षा स्टाफ’ की रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा 11-13 नवंबर तक आयोजित किया जा रहा है। यह अभ्यास युद्ध के दौरान अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों और सेवाओं से जुड़े बढ़ते खतरों से निपटने के लिए है।
उन्होंने कहा कि भारत को अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं का पूरा फायदा उठाने के लिए नए-नए विचार और प्रक्रियाएं विकसित करने पर ध्यान देना होगा।
बता दें कि, सोमवार को भारतीय सेना ने नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में वार्षिक विदेश सेवा अताशे ब्रीफिंग आयोजित की। जिसमें कुल 64 देशों के रक्षा अताशे शामिल हुए, जिन्होंने वैश्विक सुरक्षा के समकालीन मुद्दों और भारत के दृष्टिकोण पर चर्चा हुई।
पहली बार तीनों भारतीय सेनाओं का दिखेगा पराक्रम
जानकारी के मुताबिक, जनरल अनिल चौहान ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक नया अंतरिक्ष अभ्यास शुरू किया। इस अभ्यास के जरिए तीनों सेनाएं मिलकर अपने अंतरिक्ष संसाधनों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करेंगी, जिससे भविष्य की रक्षा में अत्याधुनिक तकनीकों का समावेश होगा।
इसके साथ ही सीडीएस जनरल ने अंतरिक्ष युद्ध में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि अंतरिक्ष की संपत्तियों पर नियंत्रण से राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधा लाभ होता है। उन्होंने अंतरिक्ष प्रणालियों को सुरक्षित रखने और कमजोरियों से बचाव करने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने डीआरडीओ, इसरो और शिक्षाविदों के बीच मिलकर काम करने की जरूरत को बताया। इसके साथ ही विभिन्न तकनीकों जैसे LEO सैटेलाइट मेश, क्यूटी संचार, पुनः उपयोग होने वाले रॉकेट, नैनोसैटेलाइट और ऑन-डिमांड लॉन्च क्षमता का सुझाव दिया।
अंतरिक्ष अभ्यास 2024 में शामिल
सेना के अधिकारियों के साथ-साथ डिफेंस स्पेस एजेंसी और उससे जुड़ी इकाइयों के अधिकारी ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ में हिस्सा ले रहे है। हेडक्वार्टर्स इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के मातहत आने वाली स्पेशलिस्ट शाखाएं जैसे डिफेंस साइबर एजेंसी, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी और स्ट्रैटीजिक फोर्सेज कमांड भी इस अभ्यास में सक्रिय रूप से भागीदारी करेंगे।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रतिनिधि भी ‘अंतरिक्ष अभ्यास 2024’ में हिस्सा लेंगे।
क्यों हो रही ऐसी एक्सरसाइज
अंतरिक्ष तेजी से भीड़भाड़ वाला, प्रतिस्पर्धात्मक और वाणिज्यिक होता जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अपनी तरह के पहले अभ्यास से अंतरिक्ष में राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने और सैन्य अभियानों में भारत की अंतरिक्ष क्षमता को एकीकृत करने में मदद मिलने की उम्मीद है।