भैरव पूजन के साथ केदारानाथ यात्रा का आगाज
लक्ष्मण सिंह नेगी
11 वें ज्योर्तिलिंग व पर्वतराज हिमालय की गोद में बसें भगवान केदारनाथ की यात्रा का आगाज रविवार को केदार पुरी के क्षेत्र रक्षक भैरव पूजन के साथ होगा।
युगों से चली परम्परा के अनुसार भगवान केदारनाथ की पंचमुखी चल विग्रह उत्सव डोली के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर से धाम रवाना होने से पूर्व शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में भैरव पूजन की परम्परा है।
इसी परम्परा के तहत रविवार को भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल ओकारेश्वर मन्दिर में भैरव पूजन के साथ केदारनाथ यात्रा का आगाज होगा।
सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य भैरवनाथ की तपस्थली
भैरवनाथ को केदार पुरी का क्षेत्र रक्षक माना जाता है तथा लोक मान्यताओं के अनुसार भैरवनाथ पूजन के बाद भैरवनाथ केदार पुरी के लिए रवाना हो जाते हैं। केदार पुरी से लगभग 1 किमी दूर सुरम्य मखमली बुग्यालों के मध्य भैरवनाथ की तपस्थली है।
युगों से चली आ रही कपाट खोलने व बंद करने की परम्परा
केदारनाथ की तर्ज पर भैरवनाथ के कपाट खोलने व बन्द करने की परम्परा युगों पूर्व की है। मन्दिर समिति द्वारा रविवार को होने वाले भैरव पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है तथा भैरव पूजन में शामिल होने के लिए विभिन्न राज्यों के श्रद्धालुओं ने ऊखीमठ की ओर रूख कर दिया है।
जानकारी देते हुए मन्दिर समिति कार्यधिकारी आर सी तिवारी ने बताया कि रविवार को समपन्न होने वाली भैरवनाथ पूजन की सभी तैयारियां शुरू कर दी गयी है तथा रविवार को सांय लगभग सात बजे से प्रधान पुजारियों व विद्वान आचार्यों द्वारा वेद-ऋचाओं के साथ परम्परानुसार भैरव पूजन किया जायेगा जिसमें देश-विदेश व स्थानीय श्रद्धालु शामिल होकर 10 मई से शुरू होने वाली केदारनाथ यात्रा के निविध्न समपन्न होने तथा विश्व समृद्धि व क्षेत्र की खुशहाली की कामना करेंगे।
ओकारेश्वर व विश्वनाथ मंदिर को सजाया जाएगा फूलों से
उच्चाधिकारियों के निर्देश पर भगवान केदारनाथ के शीतकालीन गद्दी ओकारेश्वर मन्दिर को आठ कुन्तल व तथा विश्वनाथ मन्दिर गुप्तकाशी को आठ कुन्तल फूलों से सजाने के प्रयास किये जा रहे हैं मगर ऋषिकेश में फूल न मिलने के कारण दिल्ली सम्पर्क किया जा रहा है।
यात्रा के सुचार रूप से चलने की चाक-चैबन्द के निर्देश
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी यदुवीर पुष्वाण ने बताया कि मन्दिर समिति का केदारनाथ पहुंचे 24 सदस्यीय एडवास दल द्वारा मुख्य मन्दिर सहित सहायक मन्दिरों मे रंग-रोगन का कार्य पूर्ण कर दिया गया है तथा 9 मई से पूर्व सभी व्यवस्थाओं को चाक-चैबन्द करने के निर्देश एडवास दल को दिये गये हैं तथा एडवास दल द्वारा सभी तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही है।