अब देहरादून खलंगा में बहुमूल्य पेड़ों की कटान का विरोध

खलंगा में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का है आदेश
रीजनल रिपोर्टर ब्यूरो

देहरादून शहर में अनियंत्रित विस्तार के चलते बढ़ रही आबादी को पेयजल उपलब्ध कराना एक चुनौती बन गया है। भविष्य में इस समस्या के और गहराने के अंदेशे को देखते रखते हुए राज्य सरकार द्वारा ऐतिहासिक खलंगा क्षेत्र में एक वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने की योजना बना रही है।

सरकार ने भविष्य की जरूरतों को दृष्टिगत रखते हुए पूर्व में इस संयंत्र की स्थापना के लिए कुल्हाल-मानसिंह क्षेत्र में भूमि चिन्हित की गई थी, किन्तु अब इसे खलंगा में स्थापित करने की योजना है।

खलंगा क्षेत्र में पेड़ों पर छपान

2000 साल-सागौन के पेड़ चिन्हित
सबसे चिंतनीय बात यह है कि खलंगा में इस सयंत्र की स्थापना के लिए 2 हजार साल-सागौन के पेड़ों का कटान करना पड़ेगा। खलंगा गोरखा वीरों की शौर्य गाथाओं का प्रतीक होने साथ ही एक विशाल हरित भूमि भी है। इको-सिस्टम को बैलेंस करने में इस क्षेत्र के जंगलों की विशेष भूमिका है।

हालांकि अभी 2 हजार पेड़ों को काटने की बात कही जा रही है, लेकिन शायद सयंत्र की स्थापना तक यह आंकड़ा और अधिक बढ़ जाये।

स्थानीय लोगों ने रक्षा सूत्र बांधकर किया विरोध प्रदर्शन
इस प्रस्तावित प्लांट का विरोध कर रहे लोगों व संस्थाओं ने रक्षा सूत्र बांधकर साथ ही दलील दी है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना बंजर जगह की जा सकती है। जो पेड़ जल स्रोत के आधार हैं

उन्हें ही काटकर वाटर ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करना कहाँ की समझदारी है। इन संस्थाओं व संगठनों ने अंदेशा व्यक्त किया है कि इतनी बड़ी तादात में पेड़ों के कटने से दून घाटी की आबोहवा प्रतिकूल असर पड़ना तय है।

जागेश्वर में भी 1000 बहुमूल्य देवदार के पेड़ों को कटाने के आदेश
उत्तराखंड के जागेश्वर में मास्टर प्लान के तहत सड़क चौड़ीकरण के लिए करीब 1000 बहुमूल्य देवदार के पेड़ों को काटने की योजना बनाई गई जिसको लेकर पर्यावरणविद चिंतित थे।

कार्यदायी संस्था लोक निर्माण विभाग ने चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों का चिह्नीकरण करना शुरू कर दिया। इस क्षेत्र के लोग भी इसके विरोध में उतर आए व उनका कहना था कि आस्था से जुड़े दारुक वन इन पेड़ों की वे पूजा करते हैं और वे हरगिज इन्हें नहीं काटने देंगे।

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