पेड़ों पर आरी चलवाने वालों को मुँह चिढ़ा रहा
प्रवेश कुमारी
इन दिनों विकास का नाम लेकर पेड़ों को काटने का असंवेदनशील सिलसिला लगातार चल रहा है। ऐसे में देहरादून में आज भी कुछ ऐसे पेड़ हैं, जो ऐतिहासिक हैं। अपना अस्तित्व बचाए हुए हैं और आने वाली पीढ़ी के लिए एक धरोहर होंगे।
जी हां। हम बात कर रहे हैं देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान यानी एफआरआई स्थित एक साल के पेड़ की। इस पेड़ को वन अनुसंधान संस्थान की स्वर्ण जयंती के उपलक्ष्य में 6 दिसंबर, 1956 को भारत के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने रोपा था।
इस पेड़ के आगे लगा पत्थर इस पेड़ की ऐतिहासिकता के बारे में बताता है। इस पर रोकने वाले का नाम, साल और उपलक्ष्य मोटे-मोटे अक्षरों में अंकित है। आज यह पेड़ अपनी 68 साल की आयु पूरी कर चुका है।
लेकिन यदि देहरादून वालों की बात करें तो उन्हें शायद ही इस पेड़ के बारे में ज्यादा जानकारी हो। इतना ही नहीं देहरादून में तमाम तरह के ऐतिहासिक पेड़ जगह-जगह मौजूद हैं, जिनके डॉक्यूमेंटेशन का काम अब कुछ वृक्षों के प्रति जागरूक लोगों ने शुरू किया है।
राहत भरी बात यह है कि इस कार्य में जो अभी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। वह भी अपने वृक्ष धरोहरों के संबंध में जानने के लिए उत्सुकता दिखा रहे हैं।
यदि आप नहीं जानते हैं तो आपको जानकारी दे दें कि वन अनुसंधान संस्थान यानी फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट भारतीय वानिकी शोध और शिक्षा परिषद अर्थात आईसीएफआरई का एक संस्थान है।
इसकी स्थापना आज से करीब 118 वर्ष पूर्व यानी सन् 1906 में हुई थी। देश भर में वानिकी शोध के लिए इस संस्थान को जाना जाता है।
आपको बता दें कि रिसर्च के अलावा देशभर में पेड़ों को होने वाली बीमारियों का इलाज करने, इनके रोपण एवं संरक्षण तथा विभिन्न प्रोजेक्ट्स के लिए सरकार को विशेषज्ञ सलाह देने का कार्य इस संस्थान द्वारा किया जाता है।