पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति भेजी
पिथौरागढ़ के टकाना क्षेत्र में अवैध हिरासत और मारपीट के एक गंभीर मामले में राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने बड़ा फैसला सुनाया है।
प्राधिकरण ने पूर्व आईपीएस लोकेश्वर सिंह को दोषी पाया है।
साथ ही उत्तराखंड शासन के गृह विभाग को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने की संस्तुति भेजी है।
शिकायत में क्या कहा गया था
लक्ष्मी दत्त जोशी ने 8 फरवरी 2023 को शिकायत दर्ज की थी।
उन्होंने कहा कि 6 फरवरी 2023 को उन्हें पुलिस अधीक्षक कार्यालय बुलाया गया।
इसके बाद उन्हें हिरासत में रखा गया। शिकायत के अनुसार, उन्हें नग्न कर मारपीट की गई।
जोशी ने मेडिकल रिपोर्ट और एक्स-रे भी जमा किए। इन रिपोर्टों में चोटों के निशान पाए गए।
पुलिस अधिकारी का पक्ष
18 अप्रैल 2023 को तत्कालीन एसपी लोकेश्वर सिंह ने अपना पक्ष रखा।
उन्होंने कहा कि शिकायतकर्ता आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। उन्होंने बताया कि उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हैं।
एसपी ने यह भी कहा कि 6 फरवरी 2023 को कोई मारपीट नहीं हुई।
उनके अनुसार, जोशी को वाहनों में आग लगाने के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
पीड़ित ने लगाए गंभीर आरोप
26 मई 2023 को पीड़ित ने शपथपत्र दिया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज किए गए।
उन्होंने यह भी कहा कि 6 फरवरी को उन्हें अवैध रूप से हिरासत में रखा गया।
पीड़ित के अनुसार, उन्हें बिना किसी केस के मारपीट की गई। यह भी बताया गया कि एक पीड़ित पुलिस कर्मी का बेटा है।
तीन साल चली सुनवाई
लगभग तीन साल तक इस मामले की सुनवाई चली। दोनों पक्षों को कई बार सुना गया।
बुधवार को प्राधिकरण की बेंच ने फैसला सुनाया। बेंच में अध्यक्ष न्यायमूर्ति एन.एस. धानिक और चार सदस्य शामिल थे।
प्राधिकरण का फैसला
प्राधिकरण ने पाया कि—
- पीड़ित को कार्यालय में बुलाया गया
- उसे नग्न करके पीटा गया
- उसे लंबे समय तक बैठाए रखा गया
बेंच ने इसे गंभीर कदाचार माना।
इसके बाद शासन को अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया गया।
साथ ही पूर्व आईपीएस को सुनवाई का अवसर देने की बात भी कही गई।
वर्तमान स्थिति
लोकेश्वर सिंह ने 14 अक्टूबर 2025 को सेवा से त्यागपत्र दे दिया था।
फिलहाल वह संयुक्त राष्ट्र से संबद्ध एक राष्ट्रीय संस्था में कार्यरत हैं।
















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