गुलदार के हमले में हुई थी घायल
पहला जीवनदान दिया था संजय फ़ौजी ने
(सिया को पहला जीवनदान देने वाले संजय भाई फ़ौजी की एफ बी पोस्ट पर लिखी यह दर्दनाक दास्तां ) : संपादक
संजय फ़ौजी /श्रीकोट गंगानाली
70 दिनों के बाद श्रीकोट गंगानाली में बाघ के हमले से पीड़ित 8 वर्षीय बालिका सिया की ऋषिकेश एम्स हास्पिटल से घर वापसी हो गई है।
ऐसी चुलबुली बच्ची, जो 70 दिनों पहले अपने घर से श्रीकोट की गलियों से गुजरते हुए अपने स्कूल जाया करती थी,अपने सहपाठियों के साथ खेलना – कूदना, अपनी चंचलता से अपने गुरुजनों की आंखों में रहना, आस – पड़ोस, गली – मुहल्ले में घूमते – फिरते रहना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था।
कसूर इतना ही था कि अपनी दादी के साथ आंगन में बैठी हुई थी। 18 सालों से यह परिवार निर्भीक तरह से इस जगह पर रह रहा है, लेकिन इस हादसे की कल्पना मात्र भी इन्होंने कभी नहीं की थी।
गर्मियों के मौसम में खुले आसमान में न जाने कितनी रातें इन लोगों ने बिताई, लेकिन सिया के भाग्य में जिंदगी भर का दुःख लिखा था।
जन सहयोग से जी रही जीवन
वर्तमान हालातों में सिया जन सहयोग से अपना जीवन जी रही है। सिया को लाइफ सपोर्टिंग वेंटिलेटर की आवश्यकता एम्स ऋषिकेश के डॉक्टरों ने बताई।
ऐसे में बिजली न होने पर बहुत बड़ी समस्या आ सकती थी। सो एडवोकेट प्रशान्त नौटियाल और उनके सहयोगियों द्वारा 22,500/रु.की धनराशि से इन्वर्टर खरीदा गया।
संतोष बुटोला ने बिजली फिटिंग का सामान, श्रीनगर फर्नीचर एण्ड इलेक्ट्रॉनिक्स हाऊस द्वारा बच्ची को गद्दा तथा मैट्रेस, परवेज अहमद ने चादर,तकिया और ओढ़ने के लिए कम्बल, राकेश बिष्ट ने तीन पाइप घर की आवश्यकता को देखते हुए सहयोग के रूप में दिए।
सिया के विद्यालय के शिक्षकों रश्मि गौड़ एवं संजय कठैत के सहयोग से शिक्षक परिवार से लगभग 65,000/- हजार,राजू बिष्ट 10,000/- ,राहुल सोनी द्वारा एकत्रित 5700/- ,श्रद्धा द्वारा 4500/- रु की धनराशि जो कि सिया के परिजनों को धीरे धीरे आवश्यकता अनुसार दी गई, जिसका लेखा-जोखा मेरे पास उपलब्ध है।
धारी देवी मंदिर समिति ने की बड़ी मदद
धारी देवी मंदिर समिति का इस बच्ची के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है, जिन्होंने एक लाख तीस हजार रुपए की लाइफ सपोर्टिंग वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध कराई। देव भूमि समिति देहरादून द्वारा आक्सीजन मशीन इस्तेमाल हेतु दी गई है।