चारधाम यात्रा को है उचित नियोजन और प्रबंधन की दरकार
गंगा असनोड़ा
उत्तराखण्ड में इस बार चारधाम यात्रा अनियोजन तथा कुप्रबंधन की किस कदर से शिकार हो गई है, इसका अंदाजा ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप में उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी के पहुंचने पर हुई घटना से लगाया जा सकता है।
उपजिलाधिकारी के समक्ष फफक कर रो पड़े यात्री
शनिवार ऋषिकेश स्थित यात्रा ट्रांजिट कैंप में जब उपजिलाधिकारी कुमकुम जोशी पहुंची तो देश-विदेश से पहुंचे यात्री हाथ जोड़कर उनके समक्ष गिड़गिड़ाने लगे उपजिलाधिकारी से वे कह रहे थे कि मैडम हम अपने महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़कर यहां बैठे हुए हैं परिवार के लोग परेशान हो रहे हैं, काम-धंधे चौपट हो रहे हैं, अब तो हमें यात्रा पर जाने दीजिए।
चारधाम यात्रा को लेकर अनिवार्य पंजीकरण की बात कह रहे शासन-प्रशासन के लिए चारधाम ट्रांजिट कैंप में बीते 10-12 दिन से फंसे यात्री गले की फांस बन गए। यात्रा सीजन को लेकर यदि पहले से सरकार, विभाग तथा सरकारी अमला चुस्त-दुरुस्त होता तो संभवतः ऐसी नौबत नहीं आती ।
ऑनलाइन, ऑफलाइन व्यवस्था नाकाम, यात्री भगवान भरोसे
चारधाम यात्रा शुरू होने के 1 सप्ताह पूर्व तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का प्रचार हुआ, उसके बाद ऋषिकेश तथा हरिद्वार के ट्राजिट कैंपों में ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का शोर किया गया और अब जब भारी तादात में उमड़े श्रद्धालुओं को व्यवस्था देने में हमारी सरकार और व्यवस्था नाकाम हो गई तो यात्रियों को रोककर भगवान भरोसे छोड़ दिया गया।
ऋषिकेश तथा हरिद्वार ट्रांजिट कैंपों में फंसे देश के विभिन्न राज्यों से आए हजारों श्रद्धालु किसी निरीह स्थिति-मनःस्थिति में है, इसका अंदाजा उनके गिड़गिड़ाने से लगाया जा सकता है।
ऑनलाइन, ऑफलाइन के बाद अब अस्थायी रजिस्ट्रेशन जारी
आनन-फानन में ऑनलाइन, ऑफलाइन के बाद अस्थायी रजिस्ट्रेशन का निर्णय लिया गया। पहले अस्थायी रजिस्ट्रेशन के लिए यात्रियों से दो बार आवेदन करवाकर उन आवेदनों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
पुनः 23 मई व 24 मई को करीब 3000 यात्रियों का अस्थायी पंजीकरण किया गया जिन्हें 24 व 25 मई को रवाना किया गया। अंततः ट्रांजिट कैंप में फंसे करीब 1000 यात्रियों का पंजीकरण 25 मई को हुआ जिन्हें 26 मई को उनके यात्रा गंतव्यों के लिए रवाना किया गया।