केदारनाथ धाम में 14 घोड़ों की मौत से मचा हड़कंप

चारधाम यात्रा मार्ग पर घोड़ा-खच्चरों के संचालन पर रोक

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पूरे जोरों पर है, लेकिन इसी बीच केदारनाथ धाम से आई एक चिंताजनक खबर ने तीर्थयात्रियों और प्रशासन दोनों को सतर्क कर दिया है।

केदारनाथ यात्रा मार्ग पर 14 घोड़ों की रहस्यमयी मौत के बाद शासन-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इन मौतों के बाद यात्रा मार्ग पर घोड़ा और खच्चर संचालन पर अस्थायी रोक लगा दी गई है।

जानकारी के मुताबिक, यात्रा के शुरुआती चरणों में ही बड़ी संख्या में घोड़े और खच्चर यात्रा मार्ग पर इस्तेमाल हो रहे थे। केदारनाथ धाम की कठिन चढ़ाई को देखते हुए अधिकांश श्रद्धालु इन पशुओं की मदद से यात्रा पूरी करते हैं।

ऐसे में इन जानवरों की मौत न केवल पशु कल्याण की दृष्टि से चिंता का विषय है, बल्कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और यात्रा की सुचारु व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन गई है।

पशुपालन विभाग ने मौके पर टीमें भेजकर नमूनों की जांच शुरू कर दी है। साथ ही मृत पशुओं के शवों को सुरक्षित रूप से ठिकाने लगाने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न फैले।

घोड़ा-खच्चर मालिकों को भी अलर्ट कर दिया गया है और उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि जब तक प्रशासन की ओर से हरी झंडी नहीं मिलती, वे अपने जानवरों का संचालन न करें।

पशुपालन विभाग के सचिव डॉ.बीवीआरसी पुरुषोत्तम रुद्रप्रयाग पहुंच चुके हैं। उन्होंने घोड़े-खच्चरों की मौत का कारण एक्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस को मानने से इंकार किया है। उनका कहना है कि केंद्र से हरियाणा की एक स्पेशल टीम जांच के लिए रुद्रप्रयाग आ रही है। टीम की जांच के बाद ही 14 घोड़े-खच्चरों की मौत का राज खुल सकेगा।

उन्होंने कहा कि फिलहाल केदारनाथ में घोड़े और खच्चरों के संचालन पर 24 घंटे के लिए प्रतिबंध लगाया गया है। श्रद्धालुओं से पैदल, पालकी या फिर डंडी-कंडी से यात्रा करने की अपील की गई है। प्रतिबंध के दौरान अगर पशु संचालक जानवरों का इस्तेमाल करते हुए पाए गए, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और स्वास्थ्य विभाग तथा पशुपालन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें। इस बीच वैकल्पिक व्यवस्थाओं पर भी विचार किया जा रहा है, जैसे कि अतिरिक्त पालकी या हेलीकॉप्टर सेवाओं का विस्तार।

यह घटना एक बार फिर से इस ओर इशारा करती है कि चारधाम जैसी विशाल धार्मिक यात्राओं में मानव के साथ-साथ पशुओं के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी समान रूप से ध्यान देना जरूरी है। यदि इस समस्या का जल्द समाधान नहीं निकाला गया, तो यह यात्रा की रफ्तार और श्रद्धालुओं की आस्था दोनों पर असर डाल सकती है।

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