_ डा अतुल शर्मा
एक घंटे में सौ मिलीलीटर पानी
जब एक ही जगह बरस जाये तो उसे बादल फटना कहते हैं। बादल में इकट्ठा पानी एक साथ बरसने से तबाही मच जाती है।
उत्तराखंड में अगर नज़र डालें, तो बादल फटने और भू-स्खलन की घटनाओं से समय समय पर भारी नुक्सान हुआ है। 150 सालों में कुछ बड़ी त्रासदियां इस प्रकार हैं
1868 : चमोली में भूस्खलन से विरही की सहायक नदी में झील बन गयी। साल भर बाद झील टूटी बादल फटने से लोग मरे व गांव बरबाद हुए थे।
1880 : 9 सितम्बर को नैनीताल में भू-स्खलन से 151 लोग मरे थे।
1893 : विरही नदी में चट्टान गिरने तालाब बना, जो एक साल बाद टूटा, तो चमोली, श्रीनगर, हरिद्वार तक तबाही हुई थी।
1951 : सतपुली के नयार में बाढ़ से 20 बसें बही।
1977 : 14, 16, 24 अगस्त को धारचुला के तवाघाट में भारी भूस्खलन हुआ था।
1979 : मंदाकिनी नदी में भूस्खलन कैसर गाँव तहस-नहस हुआ था और 50 लोग मरे थे। 1980, 23 जून को उत्तरकाशी के ज्ञानसू में भूस्खलन से 45 लोग मारे गये थे।
1990 : ऋषिकेश नीलकंठ में भूस्खलन से सौ लोगो के मरने की खबर थी।
1998 : 17 अगस्त मानसरोवर मार्ग पर भूस्खलन से कुमाऊँ मण्डल नगर निगम कैम्प ज़मीदोज़ हुआ और लोग मरे थे।
बहुत सी दर्द नाक घटनाओं से भरा पड़ा है… पहाड़ का दर्द।
पहाड़ में बारिश तबाही बनकर बरसती है।
आज बरसात और पहाड़ के समाचार तबाही से भरे हैं।
बोल रे मौसम कितना पानी…
उत्तरकाशी में बादल फटने से 9 मजदूर लापता, यमुनोत्री हाईवे बंद:
उत्तराखंड में बारिश का कहर एक बार फिर जानलेवा बन गया है। राज्य के कई ज़िलों में जारी रेड अलर्ट के बीच उत्तरकाशी ज़िले से शनिवार तड़के एक भीषण त्रासदी की खबर सामने आई। बड़कोट तहसील के सिलाई बैंड क्षेत्र में सुबह लगभग 3 बजे बादल फटने और अतिवृष्टि की घटनाएं हुईं, जिससे चारों ओर हाहाकार मच गया।
इस आपदा में एक निर्माणाधीन होटल में काम कर रहे 9 नेपाली मूल के श्रमिक लापता हो गए हैं। आशंका है कि ये सभी लोग मलबे में दब गए या तेज बहाव में बह गए हैं।

लापता मजदूरों की सूची इस प्रकार है:
- दूजे लाल (55)
- केवल थापा (43)
- रोशन चौधरी (40)
- विमला धामी (36)
- मनीष धामी (40)
- कालूराम चौधरी (55)
- बाबी (38)
- प्रिंस (20)
- छोटू (22)
सभी मजदूर होटल निर्माण, सड़क निर्माण और अन्य कार्यों में लगे थे और टेंटों में रात्रि विश्राम कर रहे थे। अचानक तेज सैलाब आने से वे बह गए।
घटनास्थल पर SDRF, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने पुष्टि की है कि खोजबीन का कार्य तेज़ी से किया जा रहा है।
बाढ़ और भूस्खलन ने यमुनोत्री हाईवे को भी निगला:
सिर्फ इंसानी जानें ही नहीं, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचा है। स्याना चट्टी के पास पुल के ऊपर से भारी मलबा और बोल्डर गिरने से यमुना नदी का बहाव रुक गया, जिससे झील बनने की स्थिति बन गई है। यमुनोत्री हाईवे पर कई स्थानों पर भारी मलबा जमा होने से संपर्क मार्ग बाधित हो गया है।
