प्रदेश में 14 दवाइयों के सैंपल हुए फेल

दवाइयों सैंपल फेल होने के बाद सीडीएसओ ने दिए बाजार से हटाने के निर्देश

उत्तराखंड में बनने वाली कुछ दवाइयों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो गए हैं। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने प्रदेश के बाजारों में वितरित की गई ऐसी सभी दवाओं को तत्काल प्रभाव से वापस मंगवाने के निर्देश जारी किए हैं।

ये दवाइयां विभिन्न बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही थीं, जिनमें बुखार, मधुमेह, मानसिक रोग और कमजोरी जैसी बीमारियों की दवाएं भी शामिल हैं।

गुणवत्ता जांच में फेल हुईं दवाइयां

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा समय-समय पर दवाइयों की गुणवत्ता की जांच के लिए सैंपलिंग अभियान चलाया जाता है। इसी कड़ी में मई माह में उत्तराखंड की कई फार्मा कंपनियों से सैंपल लिए गए थे। रिपोर्ट आने के बाद यह सामने आया कि कई दवाएं मानकों के अनुरूप नहीं थीं और इनकी गुणवत्ता संदिग्ध पाई गई।

CDSCO ने साफ किया है कि इन दवाइयों को जहां-जहां भेजा गया है, वहां से उन्हें वापस मंगवाया जाए। साथ ही, जिन कंपनियों पर लापरवाही के आरोप हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।

हरिद्वार जिले में औषधि विभाग की ओर से फार्मा कंपनियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। बीते तीन महीनों में यहां 25 से अधिक निरीक्षण किए जा चुके हैं और ड्रग माफिया के खिलाफ अब तक 50 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

प्रदेश में 400 से अधिक फार्मा कंपनियां संचालित

उत्तराखंड फार्मा सेक्टर का बड़ा केंद्र बनता जा रहा है। राज्य में वर्तमान में 400 से अधिक फार्मा कंपनियां दवाइयां और संबंधित उत्पाद बना रही हैं। ऐसे में एक भी चूक बड़े स्तर पर स्वास्थ्य संकट को जन्म दे सकती है।

फार्मा सेक्टर में विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए औषधि विभाग ने कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि यदि भविष्य में किसी भी स्तर पर गुणवत्ता से समझौता पाया गया, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

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