नैनीताल: नैनी झील में फिर दिखी प्रतिबंधित मांगुर मछली

पारिस्थितिकी तंत्र पर खतरा बढ़ा

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित नैनी झील में एक बार फिर प्रतिबंधित और खतरनाक मांगुर मछली (Clarias gariepinus) देखे जाने की सूचना ने हड़कंप मचा दिया है। यह वही मछली है जिसकी खेती को भारत सरकार ने वर्ष 2000 में पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था।

नैनी झील के एरिएशन केंद्र के प्रोजेक्ट मैनेजर आनंद सिंह कोरंगा ने झील में मांगुर मछली देखे जाने की पुष्टि की है। इस जानकारी को उन्होंने जिला विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल और पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग के अधिकारियों को भी दी है। इससे झील की सुरक्षा और जैव विविधता को लेकर चिंता और सतर्कता बढ़ गई है।

खतरनाक है मांगुर मछली

यह मछली बेहद मांसाहारी होती है और जलाशयों में पाई जाने वाली देशी प्रजातियों की मछलियों को खा जाती है। माना जाता है कि यह देशी मछली प्रजातियों की 70% तक की गिरावट के लिए जिम्मेदार है।

इसकी खेती में सड़े-गले मांस का उपयोग होता है, जिससे जल प्रदूषण और झीलों के जैविक संतुलन को गंभीर खतरा होता है। इसलिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने इसे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए घातक मानते हुए इसकी खेती पर रोक लगा दी थी।

कैसे नैनी झील में पहुंची मछली

2008-09 में भी एक मामला सामने आया था, जिसमें एक व्यक्ति ने धार्मिक मान्यता के चलते अपनी बीमार माँ की सलामती की कामना में नैनी झील में मांगुर मछलियाँ छोड़ी थीं। प्रशासन ने उस समय ज्यादातर मछलियाँ निकाल दी थीं, लेकिन चर्चा थी कि कुछ झील में बच गई थीं। अब एक बार फिर लगभग 15 साल बाद, इन मछलियों के देखे जाने की रिपोर्ट सामने आई है।

वैज्ञानिक नाम और विशेषताएँ

मांगुर मछली का वैज्ञानिक नाम Clarias gariepinus है। यह मूलतः थाईलैंड की प्रजाति है। यह कैटफिश वर्ग की मछली है जो हवा में सांस ले सकती है, सूखी जमीन पर चल सकती है और कीचड़ में भी जिंदा रह सकती है। इसकी लंबाई 3 से 5 फीट तक हो सकती है और यह तेजी से प्रजनन करके अपनी संख्या बढ़ा लेती है।

नैनी झील के पारिस्थितिक तंत्र पर संकट

झील की पारिस्थितिकी पहले ही बिग‑हेड, कॉमन कार्प जैसी विदेशी मछलियों के कारण प्रभावित हो चुकी है। हाल ही में पंतनगर विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए सर्वे में बताया गया कि ये विदेशी मछलियाँ झील की सतह, किनारों और जल स्तर को प्रभावित कर रही हैं। इसी वजह से पिछले कुछ महीनों में झील से सात क्विंटल से अधिक मछलियाँ निकाली जा चुकी हैं।

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https://youtu.be/jGaRHT7bFcw?si=3YejsVoWGoM5PqIb
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