बटर फेस्टिवल का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से पर्यटक दयारा बुग्याल पहुंचते है और यहां की मखमली घास पर मक्खन-मट्ठा की होली खेलते हैं। मक्खन की होली खेले जाने के कारण अढूंडी उत्सव को बटर फेस्टिवल के रूप में भी जाना जाता है। ग्रीष्मकाल में क्षेत्र के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्याली क्षेत्रों में चले जाते हैं और इस उत्सव के साथ वापस आते हैं।
इस बार उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रसिद्ध बटर फेस्टिवल को लेकर एक बड़ा आदेश जारी किया है। कोर्ट ने उत्तरकाशी के दयारा बुग्याल में 15 और 16 अगस्त 2024 को आयोजित होने वाले बटर फेस्टिवल में कुल डेढ़ हजार लोगों को शामिल होने की इजाजत दी है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि कि सरकार एक बार में डेढ़ हजार लोगों को नहीं भेजे, बल्कि 200-200 के समूह में लोगों को भेजे और उनके आने-जाने का समय भी तय करे।
हाईकोर्ट ने समिति से मांगी थी लोगों की लिस्ट
इस बार भाद्रपक्ष की प्रथम एकादशी और द्वादशी 15 से 16 अगस्त को पड़ रही है। दयारा पर्यटन विकास समिति ने कहा कि उस दौरान यह फेस्टिवल होना है इसलिए उन्हें 200 से ज्यादा लोगों को जाने की अनुमति दी जाए। मंगलवार 6 अगस्त को मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि बटर फेस्टिवल में कितने लोग प्रतिभाग करेंगे? उसकी लिस्ट हाईकोर्ट को दें।
इसके अलावा, वन विभाग और पुलिस के कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि फेस्टिवल खत्म होने के बाद बुग्याल की सफाई की जाए और उसकी फोटो कोर्ट में पेश की जाए।
प्रशासन ने इस बार की व्यवस्था को खास बनाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं, ताकि लोग बिना किसी परेशानी के त्योहार का मजा ले सकें और पर्यावरण का भी ध्यान रखा जा सके।
बटर फेस्टिवल
बटर फेस्टिवल का हिस्सा बनने के लिए देश-विदेश से पर्यटक दयारा बुग्याल पहुंचते हैं। यहां की मखमली घास पर मक्खन-मट्ठा की होली खेली जाती है। उत्तरकाशी जिले के 42 किलोमीटर के क्षेत्र में फैले 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित दयारा बुग्याल में यह मक्खन की होली अढूंडी उत्सव के नाम से भी जानी जाती है।
दयारा की इस अद्भुत परंपरा का आनंद लेने के लिए लोग बड़ी संख्या में आते हैं, और यह त्योहार उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा है।