रीजनल रिपोर्टर

सरोकारों से साक्षात्कार

Supreme Court: पूजा स्थल अधिनियम मामले में दर्ज नई याचिकाओं को कोर्ट ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार, 17 जनवरी को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की वैधता से संबंधित एक मामले में कई नई याचिकाएं दायर होने पर नाराजगी व्यक्त की।

Test ad
TEST ad

विस्तार

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने पूजा स्थल अधिनियम, 1991 से जुड़े मामले में दायर की गई नई याचिकाओं को खारीज कर दिया है। यह याचिका पूजा स्थल को पुनः प्राप्त करने या उसके चरित्र को बदलने के लिए मुकदमा दायर करने की अनुमति नहीं देता।

शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर 2024 के अपने आदेश के जरिए विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी रूप से रोक दिया था, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण की मांग की गई थी।

यहां हुई झड़प में चार लोग मारे गए थे। इसके बाद न्यायालय ने सभी याचिकाओं को 17 फरवरी को प्रभावी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने इस अधिनिमय के अंतर्गत दर्ज हुई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

इतना ही नहीं चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने सोमवार इस मामले में बार-बार याचिकाएं दायर किए जाने पर नाराजगी जताई हैं। सुनवाई के दौरान जस्टिस ने कहा कि बस बहुत हो गया, इसका अंत होना चाहिए। 

उन्होंने जोर देते हुए इस बात को कहा कि अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में किसी भी याचिका को नहीं सुनेगा। सीजेआई ने कहा, ‘याचिकाएं दायर करने की एक सीमा होती है। इतने सारे आईए (अंतरिम आवेदन) दायर किए गए हैं। हम शायद इस पर सुनवाई न कर पाएं।’ अब अप्रैल के पहले सप्ताह में इस पर सुनवाई होगी।

18 मुकदमों को रोका गया था

उन्होंने कहा कि मार्च में तारीख दी जा सकती है। शीर्ष अदालत ने 12 दिसंबर, 2024 के अपने आदेश के माध्यम से विभिन्न हिंदू पक्षों द्वारा दायर लगभग 18 मुकदमों में कार्यवाही को प्रभावी रूप से रोक दिया, जिसमें वाराणसी में ज्ञानवापी, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद सहित 10 मस्जिदों के मूल धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए सर्वेक्षण की मांग की गई थी।

पूजा स्थल कानून

आपको बता दें कि 1991 में देश में पूजा स्थल कानून (प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट) लागू किया गया था। इस कानून के तहत 1947 से पहले मौजूद किसी भी धर्म के पूजा स्थल को दूसरे धर्म के पूजा स्थल मे नहीं बदला जा सकता।

यदि कोई इस कानून को तोड़ता है तो उसे तीन साल की जेल या जुर्माना भी हो सकता है। यह कानून तत्कालीन कांग्रेस प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की सरकार में लागू किया गया था।

https://regionalreporter.in/a-truck-loaded-with-gas-cylinders-going-to-almora-crashed/
https://youtu.be/DOr9xIQE7b8?si=U-k2BD4vAGgjrgjZ
Website |  + posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: