प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अप्रैल, 2025 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज, नए पंबन ब्रिज का उद्घाटन किया। यह ब्रिज मंडपम को पंबन द्वीप से जोड़ता है, जो रामेश्वरम जाने का मुख्य मार्ग है।
यह ब्रिज न केवल इंजीनियरिंग का एक अद्भुत नमूना है, बल्कि यह देश की रेलवे और समुद्री यातायात प्रणाली में एक बड़ा बदलाव भी लेकर आया है। इस ब्रिज ने 1914 में बने 110 साल पुराने पंबन ब्रिज की जगह ली है, जिसे 2022 में बंद कर दिया गया था।
ऐतिहासिक महत्व
पुराना पंबन ब्रिज भारत का पहला समुद्री ब्रिज था और यह इंजीनियरिंग की दृष्टि से एक विरासत माना जाता था। नया ब्रिज उसी स्थान पर खड़ा होकर उस विरासत को आधुनिक तकनीक के साथ आगे बढ़ाता है।
यह परियोजना “नए भारत” के विजन को दर्शाती है, जहां विकास, परंपरा और तकनीक का समावेश है।

ब्रिज की विशेषताएँ
- लंबाई और डिज़ाइन: यह नया ब्रिज 2.08 किलोमीटर लंबा है और इसमें 100 से अधिक स्पैन हैं। इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा 72.5 मीटर लंबा वर्टिकल लिफ्ट स्पैन है, जिसे जहाजों के गुजरने के लिए ऊपर उठाया जा सकता है। यह स्पैन केवल दो मिनट में पूरी तरह उठाया जा सकता है।
- टेक्नोलॉजी और निर्माण: इस पुल का निर्माण अत्याधुनिक तकनीकों से किया गया है। इसमें कोर-रेजिस्टेंट स्टील का उपयोग किया गया है, जो समुद्री वातावरण में जंग से बचाता है। यह दोहरी रेलवे पटरियों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे भविष्य में रेल यातायात की क्षमता बढ़ाई जा सकेगी।
- मूल्य और समय: इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 535 करोड़ रुपये रही। निर्माण कार्य 2019 में शुरू हुआ था और कोविड-19 महामारी के बावजूद समयसीमा के भीतर पूरा कर लिया गया।
- ब्रिज की वर्टिकल लिफ्ट तकनीक: यह भारत का पहला ऐसा सी-ब्रिज है जो वर्टिकल लिफ्ट तकनीक पर आधारित है, इसका मतलब है कि जब कोई जहाज नीचे से गुजरता है, तो ब्रिज का एक हिस्सा ऊर्ध्वाधर रूप से ऊपर उठता है — जैसे एक लिफ्ट। इसे 3 मीटर प्रति मिनट की गति से ऊपर उठाया जा सकता है, और यह 14 मीटर तक उठाया जा सकता है।
- पुराने पंबन ब्रिज की विरासत: पुराने पंबन ब्रिज को 1914 में ब्रिटिश काल में बनाया गया था। यह भारत का पहला समुद्री पुल था और इसे “कैंटिलीवर ब्रिज” डिज़ाइन में बनाया गया था। यह इतना मजबूत था कि 1964 के रामेश्वरम चक्रवात में भी खड़ा रहा, जबकि आसपास सब कुछ तबाह हो गया था।
- सुरक्षा उपाय: ब्रिज में एंटी-कोलिजन डिवाइसेस, सेंसर सिस्टम, और ऑटोमेटेड कंट्रोल रूम शामिल है। यह पहली बार है जब भारतीय रेलवे किसी ब्रिज में इतना अत्याधुनिक कंट्रोल सिस्टम इस्तेमाल कर रही है।