भारत सरकार ने संसद के मानसून सत्र 2025 की तारीखों की घोषणा कर दी है। यह सत्र 21 जुलाई से 21 अगस्त 2025 तक चलेगा, जो कुल 22 कार्य दिवसों का होगा। संसदीय कार्य मंत्रालय ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर इसकी पुष्टि की है।
इस सत्र में महत्वपूर्ण विधायी कार्य, नीतिगत चर्चाएं, और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। यह सत्र सरकार और विपक्ष के लिए कई सामाजिक, आर्थिक, और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर संवाद का मंच प्रदान करेगा।
सत्र की अवधि और तारीखें
संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई 2025 को सुबह 11 बजे से शुरू होगा और 21 अगस्त 2025 तक चलेगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि यह सत्र पहले की योजना से एक सप्ताह अधिक लंबा है, क्योंकि पहले इसे 12 अगस्त तक समाप्त करने की बात थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस सत्र की तारीखों को मंजूरी दे दी है।
इस दौरान स्वतंत्रता दिवस समारोह के कारण 13 और 14 अगस्त को कोई बैठक नहीं होगी। यह सत्र तीन महीने से अधिक के अंतराल के बाद आयोजित होगा, जिससे विधायी और नीतिगत मुद्दों पर गहन चर्चा की उम्मीद है।
सत्र के मुख्य बिंदु
मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा होगी। सरकार ने छह नए विधेयकों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें आर्थिक सुधार, सामाजिक कल्याण, और बुनियादी ढांचे से संबंधित मुद्दे शामिल हैं। लोकसभा स्पीकर ने एक बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का गठन किया है, जो सत्र के दौरान होने वाली चर्चाओं और विधेयकों के लिए समय और प्राथमिकता तय करेगी।
दोनों सदन, लोकसभा और राज्यसभा, सुबह 11 बजे से अपनी कार्यवाही शुरू करेंगे। इस सत्र में आतंकवाद, पर्यावरण, और डिजिटल अर्थव्यवस्था जैसे मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित होगा। सरकार और विपक्ष के बीच नीतिगत मतभेदों पर गर्मागर्म बहस की संभावना है, क्योंकि विपक्ष कई सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सरकार से जवाब मांग सकता है।
सत्र का महत्व
मानसून सत्र संसद के तीन मुख्य सत्रों में से एक है, और यह विधायी कार्यों के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सत्र में सरकार अपनी नीतियों को लागू करने और नए कानूनों को पेश करने का प्रयास करेगी। साथ ही, यह सत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने के लिए भी महत्वपूर्ण होगा। स्वतंत्रता दिवस के आसपास होने के कारण, यह सत्र राष्ट्रीय एकता और विकास के संदेश को भी प्रोत्साहित करेगा।
