उत्तराखंड के पौड़ी जिले के डोभ श्रीकोट गांव की रहने वाली 22 वर्षीय अंकिता भंडारी यमकेश्वर स्थित वनंत्रा रिजॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में कार्यरत थी। सितंबर 2022 में उसकी रहस्यमय ढंग से गुमशुदगी और फिर शव की बरामदगी से प्रदेशभर में आक्रोश फैल गया। जांच में सामने आया कि अंकिता की हत्या रिसॉर्ट के मालिक पुलकित आर्या और उसके दो साथियों सौरभ भास्कर और अंकित ने मिलकर की थी। उसे चीला बैराज में धक्का देकर नहर में फेंक दिया गया था।
निचली अदालतने सुनाई उम्रकैद की सजा
लगभग तीन वर्षों की सुनवाई और 47 गवाहों के बयानों के आधार पर, 30 मई 2025 को कोटद्वार की विशेष सत्र अदालत ने पुलकित आर्या सहित तीनों आरोपियों को हत्या, यौन उत्पीड़न और साक्ष्य मिटाने का दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
अदालत ने माना कि आरोपियों की भूमिका सुनियोजित थी और उन्होंने साक्ष्य को भी मिटाने का प्रयास किया था। इस फैसले को पीड़िता के परिवार और राज्य के नागरिकों ने आंशिक न्याय के रूप में स्वीकार किया।
आरोपी पुलकित ने हाइकोर्ट में दी चुनौती
कोटद्वार कोर्ट के फैसले के खिलाफ मुख्य आरोपी पुलकित आर्या ने उत्तराखंड हाईकोर्ट में अपील दायर की। 7 जुलाई 2025 को इस अपील पर न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सुनवाई की।
बचाव पक्ष ने यह दलील दी कि पूरे मामले में कोई प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं था और केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई, जो न्यायसंगत नहीं है।
राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पुलकित आर्या और अन्य आरोपियों की लोकेशन घटना स्थल के पास पाई गई थी, जिसकी पुष्टि फॉरेंसिक विश्लेषण से हुई है। अंकिता के व्हाट्सएप चैट्स में उन पर दबाव बनाने और आपत्तिजनक प्रस्तावों का उल्लेख मौजूद है। साथ ही, घटना की रात रिसॉर्ट के सीसीटीवी कैमरे बंद किए गए और डीवीआर से छेड़छाड़ की गई, जो साक्ष्य मिटाने का स्पष्ट प्रमाण है।
मामले की अगली सुनवाई होगी 18 नवंबर को
सुनवाई के बाद खंडपीठ ने निचली अदालत के पूरे रिकॉर्ड को तलब करते हुए अगली सुनवाई की तारीख 18 नवंबर 2025 तय की है। हाईकोर्ट अब इस बात की समीक्षा करेगा कि क्या निचली अदालत का निर्णय न्यायिक दृष्टि से संतुलित और साक्ष्यों के अनुरूप था या नहीं।
