उत्तराखंड की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत से जुड़ा नंदा देवी महोत्सव इस वर्ष 28 अगस्त से 5 सितंबर तक आयोजित किया जाएगा। नैनीताल में जिलाधिकारी वंदना की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इसकी तैयारियों की रूपरेखा तय की गई।
भवाली में मां नंदा–सुनंदा महोत्सव का आयोजन
यह महोत्सव हर वर्ष भाद्रपद माह में मां नंदा देवी की आराधना के रूप में मनाया जाता है और इसे उत्तराखंड की संस्कृति और आध्यात्मिकता का उत्सव कहा जाता है। नैनीताल, भवाली, कर्णप्रयाग, अल्मोड़ा और अन्य पर्वतीय क्षेत्रों में यह महोत्सव बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
इस आयोजन का एक अन्य आकर्षक केंद्र भवाली रहेगा, जहां 29 अगस्त से 3 सितंबर तक मां नंदा-सुनंदा महोत्सव आयोजित किया जाएगा। भवाली मंदिर में यह आयोजन कलश यात्रा से शुरू होकर डोला भ्रमण और प्रसाद वितरण के साथ संपन्न होगा। भवाली आयोजन समिति स्थानीय नागरिकों, व्यापार मंडल और युवा संगठनों के सहयोग से उत्सव को भव्य रूप देने की तैयारी कर रही है।
‘वोकल फॉर लोकल’ थीम से स्थानीय संस्कृति को बढ़ावा
इस वर्ष महोत्सव की थीम ‘वोकल फॉर लोकल’ रखी गई है, जिसका उद्देश्य कुमाऊंनी खानपान, हस्तशिल्प, हथकरघा और पहाड़ी उत्पादों को सम्मानित करना है । जिला प्रशासन ने स्थानीय स्टॉल्स को पुरस्कृत करने की भी घोषणा की है ।
व्यवस्थाओं पर प्रशासन की नजर
नगर पालिका, पुलिस, स्वास्थ्य और विद्युत विभाग को महोत्सव स्थलों पर सीसीटीवी कैमरा, स्ट्रीट लाइट, प्लास्टिक प्रतिबंध, ई-टॉयलेट्स, चिकित्सा शिविर और शटल बस सेवाओं की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं ।
डीएम वंदना ने कहा कि यह आयोजन न केवल परंपरा का निर्वहन है, बल्कि एक ऐसा प्रयास है, जिससे स्थानीय उद्यमिता, आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गर्व को बढ़ावा दिया जाए। नंदा देवी महोत्सव अब केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि पर्वतीय समाज की पहचान, स्वाभिमान और सांस्कृतिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है।
इस महोत्सव के माध्यम से नैनीताल जैसे पर्यटन स्थलों को बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे, जिससे न केवल संस्कृति बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी सकारात्मक लाभ मिलेगा
लोक कलाओं का महफिल– संस्कृति, संगीत और नृत्य
मेला स्थल पर कुमाऊं की पारंपरिक लोक नृत्य झोड़ा, चांचरी, रणभेरी के साथ देव डोली शोभा यात्रा होगी। राज्य के अन्य जिलों से भी कलाकार भाग लेंगे ।
