पाक सेना, ISI और लश्कर के गहरे गठजोड़ का पर्दाफाश
26/11 मुंबई आतंकी हमलों के अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा ने भारत पहुंचने के बाद मुंबई क्राइम ब्रांच को दी गई अपनी पहली पूछताछ में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं।
पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर रह चुका यह शख्स अब खुद को एक ‘भरोसेमंद पाकिस्तानी एजेंट’ बता रहा है और उसने स्वीकार किया है कि मुंबई हमलों की साजिश सिर्फ आतंकियों की नहीं, बल्कि एक राज्य-प्रायोजित साजिश थी, जिसमें पाक सेना और ISI की सीधी भागीदारी थी।
अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद पहली पूछताछ
64 वर्षीय तहव्वुर राणा को अप्रैल 2025 में अमेरिका से भारत लाया गया। 10 अप्रैल को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसे दिल्ली एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया।
इस प्रत्यर्पण के पीछे लगभग एक दशक लंबी कानूनी प्रक्रिया थी, जिसे भारत ने अमेरिकी न्याय विभाग के साथ मिलकर पूरा किया। वर्तमान में वह तिहाड़ जेल में बंद है और मामला अब मुंबई क्राइम ब्रांच के अधीन है।
पाकिस्तानी सेना से जासूसी की शुरुआत
राणा ने बताया कि उसने 1986 में रावलपिंडी के आर्मी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की थी। इसके बाद उसे पाक सेना में कैप्टन डॉक्टर के तौर पर नियुक्त किया गया।
वह सियाचिन, बहावलपुर, बलूचिस्तान और सिंध जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात रहा। सियाचिन में पोस्टिंग के दौरान उसे पल्मोनरी ईडेमा हो गया था, जिससे ड्यूटी पर न जा पाने की वजह से उसे ‘डिज़र्टर’ घोषित कर सेना से निकाल दिया गया।
उसके मुताबिक, पाक सेना ने उसे खाड़ी युद्ध के समय सऊदी अरब में एक गुप्त मिशन पर भेजा था जिससे उसकी पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों से करीबी की पुष्टि होती है।
राणा के अनुसार, उसका स्कूल के दिनों से डेविड कोलमैन हेडली से संबंध था। दोनों ने हसन अब्दाल कैडेट कॉलेज में साथ पढ़ाई की थी। हेडली की मां अमेरिकी और पिता पाकिस्तानी थे। पारिवारिक तनाव के चलते हेडली अमेरिका चला गया और वहीं से उसका कट्टरपंथ और आतंकी गतिविधियों में झुकाव शुरू हुआ।
राणा ने बताया कि 2003-04 में हेडली ने लश्कर के तीन प्रशिक्षण शिविरों में भाग लिया और बताया कि लश्कर केवल आतंकी संगठन नहीं बल्कि जासूसी नेटवर्क की तरह कार्य करता है। राणा ने इस बात को स्वीकार किया कि उसने हेडली को भारत भेजने में मदद की, और उसे आर्थिक सहायता भी प्रदान की गई।
26/11 से ठीक पहले की गतिविधियाँ
राणा ने यह भी स्वीकार किया कि वह नवंबर 2008 में भारत आया था। 20-21 नवंबर को वह मुंबई के पवई इलाके में एक होटल में ठहरा। हमले से पहले वह दुबई होते हुए बीजिंग चला गया। मुंबई में उसकी मौजूदगी को चार्जशीट में दर्शाया गया है, जिसे 2023 में मुंबई क्राइम ब्रांच ने दाखिल किया था।
पूछताछ के दौरान राणा ने बताया कि उसने और हेडली ने मिलकर मुंबई के भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की रेकी की थी, जिसमें छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (CSMT) भी शामिल था।
राणा ने यह भी बताया कि मुंबई में खोला गया “First Immigration Center” उसी का विचार था, न कि हेडली का। इस ऑफिस को एक महिला संचालित करती थी और इसका इस्तेमाल हेडली की गतिविधियों को छुपाने तथा भारत में उसकी आवाजाही को आसान बनाने के लिए किया गया। आर्थिक लेनदेन को व्यावसायिक खर्च के रूप में दिखाया गया, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचा जा सके।
ISI और पाक अधिकारियों से संपर्क
पूछताछ में राणा ने स्वीकार किया कि उसकी जान-पहचान लश्कर-ए-तैयबा के साजिद मीर, अब्दुल रहमान पशा और पाकिस्तानी अधिकारी मेजर इकबाल से थी। ये सभी व्यक्ति 26/11 हमलों के मास्टरमाइंड माने जाते हैं। राणा से जब ईमेल्स के बारे में सवाल किया गया, तो वह जवाब देने से बचता रहा।
वहीं, वीजा धोखाधड़ी के सवाल पर उसने भारतीय दूतावास पर आरोप मढ़ने की कोशिश की, जबकि अमेरिकी न्याय विभाग की रिपोर्ट में उल्लेख है कि राणा ने फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए हेडली को भारत भेजा।
राणा ने एक अन्य व्यक्ति का ज़िक्र किया जो हेडली को मुंबई एयरपोर्ट पर रिसीव करने गया था। उसका नाम बशीर शेख बताया गया है, जो फिलहाल फरार है और माना जा रहा है कि वह कनाडा में छिपा हुआ है। यही व्यक्ति हाल ही में टीएमसी नेता के कार्यालय की रेकी करने के आरोप में कोलकाता पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है।
