भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र (ISS) में अपने मिशन के अंतिम चरण में इतिहास रच दिया है। उन्होंने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में मूंग और मेथी के बीजों को अंकुरित कर एक अनूठा प्रयोग किया है, जिससे अंतरिक्ष में टिकाऊ खेती की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।
शुक्ला इन दिनों एक्सिओम स्पेस (Axiom Space) के AX-4 मिशन का हिस्सा हैं। वे और उनके साथी अब तक कक्षा प्रयोगशाला में 12 दिन बिता चुके हैं और अब उनका मिशन अंतिम चरण में पहुंच चुका है। मौसम की स्थिति के आधार पर उम्मीद की जा रही है कि वे 10 जुलाई के बाद किसी भी दिन पृथ्वी पर वापस लौट सकते हैं।
अंतरिक्ष में “स्पेस फार्मिंग” का प्रयोग
शुक्ला ने ISS पर मौजूद प्रयोगशाला में एक पेट्री डिश में मूंग और मेथी को उगाया और इस प्रक्रिया की तस्वीरें भी साझा की हैं। अंकुरण के बाद बीजों को अंतरिक्ष केंद्र के -80 डिग्री सेल्सियस फ्रीजर में सुरक्षित रखा गया है। यह प्रयोग कर्नाटक के धारवाड़ स्थित कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रविकुमार होसामणि और आईआईटी धारवाड़ के वैज्ञानिक सुधीर सिद्धपुरेड्डी के नेतृत्व में किया गया।
Axiom Space की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, पृथ्वी पर लौटने के बाद इन बीजों की अगली कई पीढ़ियों तक जांच की जाएगी ताकि यह समझा जा सके कि सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण का उनके आनुवंशिक गुणों, सूक्ष्मजीव पारिस्थितिकी तंत्र और पोषण प्रोफाइल पर क्या असर पड़ा।
शैवाल पर भी हो रहा अध्ययन
मूंग-मेथी के अलावा, शुक्ला अंतरिक्ष में सूक्ष्म शैवाल (microalgae) से जुड़े प्रयोग भी कर रहे हैं। इन शैवालों को भोजन, ऑक्सीजन और जैव ईंधन उत्पादन की क्षमता को परखने के लिए साथ ले जाया गया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि इनका लचीलापन और किसी भी वातावरण में ढलने की क्षमता इन्हें भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों में मानव जीवन के लिए सहायक बना सकती है।
ISRO के साथ गर्व से जुड़ा योगदान
Axiom Space की मुख्य वैज्ञानिक लूसी लो से बातचीत में शुभांशु शुक्ला ने कहा, “मुझे गर्व है कि ISRO और भारत के राष्ट्रीय संस्थान ISS पर इतने शानदार शोधों में योगदान दे रहे हैं। यह एक रोमांचक और आनंददायक अनुभव है।”
शुक्ला के मुताबिक, इसरो द्वारा चयनित और समर्थित ये प्रयोग भविष्य में भारत के गगनयान मिशन और अंतरिक्ष जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नई दिशा तय करेंगे।
मिशन की वापसी: 14 जुलाई के बाद संभव
नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के अनुसार, शुक्ला और उनके AX-4 मिशन दल के सदस्य 14 जुलाई 2025 के बाद कभी भी वापस लौट सकते हैं, हालांकि सटीक तारीख मौसम की स्थिति और ISS के तकनीकी मूल्यांकन पर निर्भर होगी। नासा ने अब तक वापसी की आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
शुक्ला भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं और भारत के पहले ऐसे अंतरिक्ष यात्री बने हैं, जिन्होंने ISS पर जैविक और कृषि अनुसंधान किया है। उनके इस प्रयास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू समेत देश के शीर्ष नेतृत्व ने सराहा है।
