उत्तराखंड को “देवभूमि” कहा जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यहां धार्मिक आस्था के नाम पर कई लोग जनता को गुमराह कर रहे हैं। इसी संदर्भ में राज्य सरकार ने “ऑपरेशन कालनेमी” की शुरुआत की है। इसका उद्देश्य है— धर्म के नाम पर चल रहे पाखंड, अंधविश्वास और धोखाधड़ी पर कठोर कार्यवाही।
इस अभियान का मूल लक्ष्य उन छद्म साधुओं और धार्मिक दलालों को चिन्हित करना है जो आमजन, विशेषकर महिलाओं, के साथ धोखा कर रहे हैं। यह सनातन धर्म की गरिमा बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा के लिए शुरू की गई पहल है।
कहां चल रहा है ऑपरेशन
“ऑपरेशन कालनेमी” पूरे उत्तराखंड राज्य में सक्रिय रूप से चलाया जा रहा है। सभी जिलों में प्रशासन को सतर्क किया गया है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहाँ धार्मिक आयोजनों, आश्रमों या साधुओं की गतिविधियां अधिक हैं।
प्रशासनिक कार्रवाई
- सभी जिलाधिकारियों को आदेश दिया गया है कि वे अपने क्षेत्र में छद्म साधुओं की पहचान करें।
- संदिग्ध व्यक्तियों और संगठनों पर नजर रखी जा रही है।
- धोखाधड़ी, शोषण, अवैध कब्जे या अंधविश्वास फैलाने जैसी गतिविधियों में शामिल पाए जाने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है।
अब तक की स्थिति
- कई जिलों में संदिग्ध धार्मिक गतिविधियों की पहचान हो चुकी है।
- कुछ व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किए गए हैं।
- निगरानी और पूछताछ की प्रक्रिया चल रही है।
- सरकार सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर जन-जागरूकता अभियान भी चला रही है।
