सात दशक के करियर में 200 से ज्यादा फिल्मों से रचा सिनेमा का इतिहास
दक्षिण भारतीय सिनेमा की ‘अभिनय सरस्वती’ और बॉलीवुड की सदाबहार अदाकारा बी. सरोजा देवी अब हमारे बीच नहीं रहीं।
87 वर्ष की उम्र में उनके निधन की खबर ने पूरे फिल्म उद्योग को शोक में डुबो दिया है। 1950 और 60 के दशक की सुपरस्टार रहीं सरोजा देवी ने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिंदी फिल्मों में शानदार योगदान दिया।
17 साल की उम्र में शुरू किया अभिनय सफर
बी. सरोजा देवी का जन्म कर्नाटक में हुआ था और उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में फिल्मी दुनिया में कदम रखा।
साल 1955 में आई कन्नड़ फिल्म महाकवि कालिदास से उन्होंने अभिनय की शुरुआत की।
इसके बाद 1958 में तमिल फिल्म नादोदी मन्नान में एम.जी. रामचंद्रन (एमजीआर) के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट रही और वे रातोंरात स्टार बन गईं।
हिंदी सिनेमा में दिलीप कुमार के साथ रखा कदम
बी. सरोजा देवी ने 1959 में बॉलीवुड में दिलीप कुमार के साथ फिल्म पैगाम से डेब्यू किया। इस फिल्म के बाद वे ‘ससुराल’, ‘प्यार किया तो डरना क्या’, ‘बेटी बेटे’ जैसी सफल फिल्मों में नजर आईं। उन्होंने राज कपूर, शम्मी कपूर और सुनील दत्त जैसे दिग्गजों के साथ भी काम किया।
एमजीआर के साथ 26 फिल्मों की जोड़ी
तमिल सुपरस्टार एमजीआर और सरोजा देवी की जोड़ी दर्शकों की सबसे पसंदीदा जोड़ियों में से एक रही।
दोनों ने एक साथ 26 फिल्मों में अभिनय किया और हर फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली। एमजीआर के लिए सरोजा देवी एक ‘लकी चार्म’ मानी जाती थीं।
लीड एक्ट्रेस के रूप में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
बी. सरोजा देवी ने 1955 से 1984 तक बतौर लीड एक्ट्रेस 161 फिल्मों में काम करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने अपने समय में महिला प्रधान किरदारों को भी बड़े आत्मविश्वास और सशक्तता के साथ निभाया, जो आज भी याद किए जाते हैं।
इन सम्मानों से हुई सम्मानित
अपने योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने 1969 में पद्मश्री और 1992 में पद्मभूषण से सम्मानित किया।
इसके अलावा उन्हें कलाईममणि पुरस्कार, कर्नाटक राज्य पुरस्कार, और बेंगलुरु विश्वविद्यालय की मानद डॉक्टरेट जैसी उपाधियाँ भी प्राप्त हुईं।
बी. सरोजा देवी का निधन न केवल तमिल या दक्षिण भारतीय सिनेमा, बल्कि पूरे भारतीय फिल्म इतिहास के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा।