डॉ.अतुल शर्मा
पुस्तकों के कवर पेज डिज़ाइन करने वाले चित्रकार और कवर डिज़ाइनर अमूल्य कार्य करते रहे हैं। प्रकाशकों, पुस्तकों के विक्रय केंद्रों में सबसे पहले यही ध्यान खींचते है।
लाईब्रेरी में भी इसी से पुस्तकों व लेखकों के नाम पता चलते हैं। लाईब्रेरी साइंस मे कैटलोगिंग क्लासिफिकेशन आदि मे भी इनका महत्व होता है।
कलेवर से पुस्तकों की थीम समझी जा सकती है। पुस्तकों के व लेखको के नाम अंकित तो रहते ही हैं। पर कई बार लगता है कि इनको बनाने वाले चित्रकार व कवर डिज़ाइनर उतनी चर्चा में नहीं आ पाते।
कुछ प्रकाशक पुस्तकों के बैक कवर पर इनका परिचय ज़रूर देते है। शेष प्रकाशक इनका नाम वहां ज़रूर देते है जहां मुद्रक व प्रकाशक का पता लिखा होता है।
यह कला विधा के रुप मे शामिल है कि नहीं?
हमारे कई मित्र रहे है जो देहरादून से दिल्ली पहुंचे और उन्होंने प्रकाशकों के साथ पुस्तकों के कवर डिज़ाइन तैयार किये। बहुत नाम हैं पर एक महत्वपूर्ण नाम है अवधेश कुमार।
देहरादून मे उन्होंने पहला बुक कवर स्वाधीनता संग्राम सेनानी व राष्ट्रीय कवि श्रीराम शर्मा प्रेम के कविता संग्रह का बनाया। यह था जलती धरती झुलसे पांव और युग चरण।
आज इस विषय मे संक्षिप्त चर्चा करते हुए कुछ लोगों के नामो का उल्लेख इस तरह करना चाहता हूँ कि ये वे लोग है जो पुस्तक के ज़रुरी अंग हैं।
इनमें कला और आसपास (संपादक : विनोद भारद्वाज), आवरणः रवि शर्मा, सादत हसन मंटा (संपादक – नरेंद्र मोहन) आवरण – इमरोज़। मोहन दास (उदय प्रकाश) आवरण- वाणी चित्रांकन। मेरा ओलिया गांव (शेखर जोशी) आवरण- भार्गव कुमार कुलकर्णी। रसीदी टिकट ( अमृता प्रीतम) आवरण- इमरोज़। नरक दर नरक ( ममता कालिया) आवरण- रवि शर्मा आदि।
पुस्तक आवरण बनाने वालां पर लिखने का मन हुआ। क्योंकि महत्वपूर्ण है ये सभी अहम है जिन्होंने पुस्तकों को पहली पहचान दी।

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