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‘आदि वाणी’: जनजातीय भाषाओं के संरक्षण के लिए भारत का पहला AI अनुवादक लॉन्च

नई दिल्ली में हुआ बीटा संस्करण लॉन्च

केंद्रीय जनजातीय कार्य राज्य मंत्री दुर्गादास उइके ने सोमवार को नई दिल्ली में ‘आदि वाणी’ का बीटा संस्करण लॉन्च किया। यह भारत का पहला कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित अनुवादक है, जिसका उद्देश्य जनजातीय भाषाओं का डिजिटाइजेशन, संरक्षण और पुनर्जनन करना है।

भारत में वर्तमान में 461 जनजातीय भाषाएं बोली जाती हैं। इनमें से 81 भाषाएं संकटग्रस्त और 42 गंभीर रूप से खतरे में हैं। दस्तावेजीकरण की कमी और पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरण में गिरावट के कारण कई भाषाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं।

किन भाषाओं से शुरू हुआ ‘आदि वाणी’

बीटा लॉन्च में संताली (ओडिशा), भिली (मध्य प्रदेश), मुंडारी (झारखंड) और गोंडी (छत्तीसगढ़) भाषाओं को शामिल किया गया है। मंत्रालय के अनुसार, अगले चरण में कुई और गारो जैसी अन्य भाषाओं को भी जोड़ा जाएगा।

मंत्रालय की निदेशक दीपाली मासिरकर ने बताया कि यह पहल जनजातीय भाषाओं की पहचान को सुरक्षित करने की दिशा में अहम है। वहीं, सचिव विभु नायर ने कहा कि ‘आदि वाणी’ इस हफ्ते गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध हो जाएगी।

प्रमुख उद्देश्य

  • हिंदी/अंग्रेजी और जनजातीय भाषाओं के बीच वास्तविक समय में अनुवाद
  • छात्रों और शुरुआती शिक्षार्थियों के लिए भाषा सीखने की सुविधा
  • लोककथाओं, परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर का डिजिटल संरक्षण
  • सरकारी योजनाओं और सेवाओं को जनजातीय भाषाओं में उपलब्ध कराना

छत्तीसगढ़ के सुगडू पोताई ने इस पहल को जनजातीय भाषाओं की सुरक्षा की दिशा में बड़ा कदम बताया। वहीं, विकास में शामिल गोपेश कुमार भारती ने कहा कि यह प्रयास सांस्कृतिक विरासत और पहचान को संरक्षित करने के लिए आवश्यक है।

‘आदि वाणी’ न केवल शोधकर्ताओं और शिक्षकों के लिए अमूल्य संसाधन उपलब्ध कराएगी, बल्कि जनजातीय समुदायों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं तक उनकी मूल भाषा में पहुंच सुनिश्चित करेगी।

इसके जरिए भारत भाषाई विविधता को संरक्षित करने के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर AI-आधारित भाषा संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा सकता है।

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