सुप्रीम कोर्ट ने 9 सितंबर 2025 को एक अहम निर्देश जारी किया। बिहार में चल रहे विशेष मतदान संशोधन (SIR) के तहत आधार कार्ड को वोटर की पहचान के लिए 12वां मान्य दस्तावेज माना जाए।
हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आधार नागरिकता की पुष्टि नहीं करता और इसके प्रामाणिकता की जांच चुनाव अधिकारियों को करने का अधिकार रहेगा।
इस फैसले से बिहार में करीब 34 लाख ऐसे वोटर्स लाभान्वित हो सकते हैं, जिनके पास अन्य निर्धारित दस्तावेज नहीं थे। विपक्ष ने इसे आम जन के अधिकार की रक्षा करने वाला कदम बताया है।
SC आदेश का महत्व:
- पहचान आसान हुई: SIR प्रक्रिया में अब आधार भी शामिल, जिससे लोगों को पहचान प्रमाण उपलब्ध कराने में सुविधा होगी।
- शिथिल नहीं हुआ भरोसा: अधिकारी अब भी आधार की प्रामाणिकता जाँच सकते हैं।
- नागरिकता पूरी तरह से अलग मुद्दा: केवल पासपोर्ट या जन्म प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज ही नागरिकता साबित करने में निर्णायक होंगे।
बिहार में चुनाव से पहले 15 दलों की मान्यता पर तलवार लटकी
बिहार चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने ऐसी 15 पंजीकृत राजनीतिक पार्टियों की सूची तैयार की है जो पिछले छह साल से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ली हैं।
आयोग जल्द ही फैसला करेगा कि इन्हें “रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त दलों” की सूची में शामिल रखा जाए या उनमें से कुछ की मान्यता रद्द कर दी जाए।
यह कदम लोकतंत्र की “साफ-सुथरी राजनीति” सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
कारण और क्या हो सकता है:
- लाभों की कटौती: मान्यता रद्द होने पर दलों को चुनाव चिन्ह, टैक्स छूट और सार्वजनिक प्रसारण जैसे सुविधाएं नहीं मिलेंगी।
- राजनीतिक क्षेत्र साफ़: निष्क्रिय दलों को हटाकर केवल सक्रिय राजनीतिक दलों को मौका रहेगा।
- पुलिसी साफ़-सफाई: सेमी-ऑफिशियल प्रक्रिया से लोकतंत्र की गुणवत्ता बेहतर होगी।

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