अब किसी भी अतिक्रमण को हटाने या ध्वस्तीकरण से पहले विभागों को सख्त नियमों का पालन करना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शहरी विकास विभाग ने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी कर दी है।
नई एसओपी के अनुसार, किसी भी संपत्ति पर सीधे रातों-रात बुलडोजर नहीं चलाया जा सकेगा। कार्रवाई से पहले नोटिस, सुनवाई और अपील की पूरी प्रक्रिया अनिवार्य होगी।
क्या हैं प्रमुख प्रावधान
- अतिक्रमण हटाने से पहले 15 दिन का नोटिस अनिवार्य।
- नोटिस कोड डाक से भेजना और संपत्ति पर चस्पा करना होगा।
- इसकी सूचना जिलाधिकारी कार्यालय को भी देनी होगी, जहाँ नोडल अधिकारी नामित होगा।
- सक्षम अधिकारी को अपने निर्णय का कारण स्पष्ट करना होगा।
- ध्वस्तीकरण से पहले पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
- मौके पर मौजूद अधिकारियों-कर्मचारियों का पूरा विवरण दर्ज करना अनिवार्य होगा।
अपील और जिम्मेदारी तय
ध्वस्तीकरण का आदेश पारित होने के बाद कब्जाधारक को 15 दिन का समय खुद अतिक्रमण हटाने के लिए दिया जाएगा। यदि ध्वस्तीकरण गलत पाया जाता है या न्यायालय से स्टे ऑर्डर लागू होता है तो संबंधित अधिकारी जिम्मेदार होगा। उसे न केवल मुआवजा देना होगा बल्कि पुनर्निर्माण का खर्च भी उठाना पड़ेगा।
किन मामलों में लागू नहीं होगी एसओपी
सार्वजनिक स्थान जैसे सड़क, फुटपाथ, रेलवे लाइन और नदी क्षेत्र के अतिक्रमण पर यह नियम लागू नहीं होंगे।
न्यायालय में विचाराधीन या स्टे ऑर्डर वाले मामलों पर भी एसओपी लागू नहीं होगी।
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