उत्तराखंड सरकार को दोबारा संशोधित ड्राफ्ट भेजने के निर्देश
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के आसपास प्रस्तावित इको सेंसिटिव ज़ोन (ESZ) को लेकर उत्तराखंड सरकार को केंद्र से बड़ा झटका लगा है।
राज्य द्वारा भेजे गए संशोधित प्रस्ताव को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कई गंभीर कमियों के आधार पर अस्वीकार कर दिया है।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि प्रस्ताव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) और वन्यजीव संस्थान (WII) की टिप्पणियों से मेल नहीं खाता, इसलिए इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकृत नहीं किया जा सकता।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव प्रभाग ने 31 अक्टूबर 2025 को राज्य के प्रमुख सचिव वन को पत्र जारी किया। मंत्रालय ने कहा कि राज्य सरकार का प्रस्ताव वैज्ञानिक रूप से संतुलित नहीं है।
NTCA और WII को भेजी गई फाइल पर दोनों संस्थाओं की विस्तृत टिप्पणियाँ आई थीं, लेकिन राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण सुझावों विशेषकर ESZ सीमा संशोधन को शामिल नहीं किया।
राज्य सरकार ने अपने प्रस्ताव में कई स्थानों पर ESZ की चौड़ाई एक किलोमीटर से अधिक रखी है, वहीं कुछ क्षेत्रों में इसे काफी कम कर दिया गया है।
वन विभाग का तर्क था कि कॉर्बेट के आसपास बसे गांवों और रिहायशी क्षेत्रों को कठोर प्रतिबंधों से राहत देना जरूरी है।
हालांकि केंद्र का कहना है कि इको सेंसिटिव ज़ोन किसी भी संरक्षित क्षेत्र के लिए शॉक एब्जॉर्बर के रूप में काम करता है, इसलिए इसकी सीमा तय करते समय वैज्ञानिक औचित्य और भू-आधारित डेटा आवश्यक है।
केंद्र ने अपने पत्र में साफ किया है कि जहां ESZ सीमा न्यूनतम रखी गई है, वहां स्पष्ट औचित्य, विस्तृत मैपिंग, स्थल आधारित तकनीकी डेटा और सभी संबंधित जानकारी प्रस्तुत करना अनिवार्य है। केंद्र के अनुसार, प्रस्ताव की मौजूदा संरचना इस आवश्यकता को पूरा नहीं करती।
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन की प्रतिक्रिया
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक साकेत बडोला ने पुष्टि की कि मंत्रालय ने कई बिंदुओं पर दोबारा विचार करने के निर्देश दिए हैं।
उन्होंने कहा कि वन विभाग जल्द ही पहले भेजे गए प्रस्ताव के तर्कों और आवश्यक विवरण के साथ केंद्र को नया पत्र भेजेगा।
केंद्र द्वारा आपत्ति दर्ज किए जाने के बाद अब राज्य सरकार को प्रस्ताव का व्यापक पुनरीक्षण करना होगा। संशोधन के बाद ही ESZ सीमा पर अंतिम निर्णय केंद्र स्तर पर आगे बढ़ पाएगा।
ESZ का मसला लंबे समय से विवादों में घिरा रहा है और इस नए निर्देश के बाद प्रक्रिया एक बार फिर लंबी होती दिख रही है।












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