हर दो साल में होने वाले विश्व आयुर्वेद कांग्रेस सम्मेलन की मेजबानी इस बार उत्तराखंड को मिली है। कार्यक्रम का आयोजन 12 से 15 दिसंबर तक देहरादून के परेड ग्राउंड में होने जा रहा है।
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देहरादून में आयोजित होने वाले 10वें वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एंड आरोग्य एक्सपो पर वैश्विक स्तर पर चिंतन, मंथन और विचार विमर्श होगा। सरकार के मुताबिक, इससे निकलने वाले अमृत आयुर्वेद के क्षेत्र में भारत को ही नहीं, विश्व को जगाने का कार्य करेगा।
10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस के कर्टेन रेजर एवं प्रोग्राम गाइड का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह आयोजन सर्वे सन्तु निरामयाः का संदेश भी घर-घर तक पहुंचाने में मददगार होगा। कार्यक्रम की घोषणा करते हुए सीएम धामी ने कहा कि महामारी के दौर में आयुर्वेद एवं आयुष का प्रभाव लोगों ने देखा है।
सीएम धामी ने कहा कि राज्य में तीन नए 50 बेड वाला आयुष चिकित्सालयों का निर्माण कार्य कोटद्वार, टनकपुर और टिहरी में किया जा रहा है। राज्य में आयुष आधारित 300 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना पूरी की जा चुकी है।
सभी आयुष अस्पतालों में पंचकर्म, टेलीमेडिसिन और मर्म चिकित्सा जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं। राज्य के 150 से अधिक आयुष चिकित्सालय एनएबीएच एक्रीडिटेशन (NABH Accreditation) प्राप्त कर चुके हैं।
सम्मेलन के लिए 6500 मेहमान करा चुके पंजीकरण
चार दिवसीय सम्मेलन में भाग लेने के लिए अब तक 6500 पंजीकरण हो चुके हैं। यह संख्या पिछले वर्ष गोवा में हुए नौवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस से अधिक है। गोवा में कुल 5102 मेहमान पहुंचे थे। इस वैश्विक आयुर्वेद कांग्रेस में 58 देशों से 300 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि प्रतिभाग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार के सहयोग से वर्ष 2002 से हर साल विश्व आयुर्वेद कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। इस बार मेजबानी का अवसर उत्तराखंड को मिला है।
उत्तराखंड आने में मेहमानों की दिलचस्पी नजर आ रही है। आयुष सचिव रविनाथ रामन के अनुसार, अभी तक 6500 मेहमान रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। इस आयोजन की तैयारी जोरों पर है और इसे अभूतपूर्व बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है।
देशों की संख्या व प्रतिनिधियों पर भी नजर
विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो में देशों की संख्या और प्रतिनिधियों पर भी उत्तराखंड की नजर है। पिछले वर्ष गोवा में आयोजित इस आयोजन में सबसे ज्यादा 53 देशों ने भागीदारी की थी।
विदेशी प्रतिनिधियों की संख्या भी पिछले वर्ष ही सबसे ज्यादा रही थी और 295 विदेशी प्रतिनिधि आयोजन का हिस्सा बने थे। इस बार उत्तराखंड 54 से ज्यादा देशों के प्रतिनिधित्व की उम्मीद कर रहा है।