बीते दिनों मोबाइल में फेसबुक पर रील स्क्रॉल करते हुए अचानक मित्र अंजली सक्या आहूजा की रील पर नजर टिक गई। कई बार इस रील में डाले गए करार को पढ़ा। एक पल के लिए जवाहर लाल नेहरू द्वारा बेटी इंदिरा के लिए लिखे पत्रों की याद हो आई, जो हमने एक पुस्तक में किशोरवय में पढ़े थे।
इस रील को देखना इस मायने में बहुत सुखद लगा कि जिस दौर में “किताब कौथिग” जैसे आयोजनों का श्रीनगर में विरोध हुआ हो, जिस दौर में एक पहाड़ी राज्य का जनमानस उसी राज्य के माननीय विधायक द्वारा विधान सभा में गलियाया जा रहा हो जिस दौर में बिरजू मयाल जैसे रील मेकर्स सिर्फ इसलिए चर्चित हो जाते हैं, क्योंकि वे किसी को भी, कुछ भी अनाप-शनाप पूरे आत्मविश्वास के साथ कहने का दम रखते हैं।
उसी दौर में एक पन्द्रह वर्षीय किशोरी अपनी बोर्ड परीक्षा के दौरान मोबाइल से दूरी बनाए रखने के साथ ही परीक्षा के बाद दो पुस्तकें तथा पुस्तकों की पूरी श्रृंखला अपनी मां से उपहार में लेने का करार करती है।
मां अंजलि आहूजा तथा बेटी अनन्या आहूजा के बीच हुए लिखित करार में अनन्या की तरफ से कहा गया है कि बोर्ड परीक्षा के कारण वह 24 मार्च, 2025 तक मोबाइल नहीं चलाएगी। परीक्षा के बाद वह अपनी प्रिय सहेली के घर पूरा दिन बिताएगी तथा एक दूसरी प्रिय सहेली को अपने घर सोने के लिए बुलाने की भी अनुमति लेगी। अंतिम परीक्षा होते ही पूरे एक महीने के लिए फोन अनन्या के पास रहेगा। परीक्षाओं के बाद मां अनन्या को दो पुस्तकें तथा पुस्तकों की एक पूरी श्रृंखला खरीद कर देंगी।
इस करार में अनन्या ने यह भी लिखा है कि मैं और मेरी मां आपसी चर्चा के बाद एक यात्रा की योजना भी बनाएंगे। अनन्या ने अपनी बात को समाप्त करते हुए यह भी कहा है कि मेरी मां धैर्यवान, प्रेम से परिपूर्ण मुझे सहेज कर रखने वाली तो हैं ही, मुझे हर एक विषय सिखाने के लिए भी दृढ़ संकल्पित रहती हैं। हालांकि, परीक्षा की तैयारी के दौरान मेरे उत्तेजित स्वभाव पर वे चिढ़ भी जाती हैं।
अनन्या की ओर से तैयार इस करार पर अनन्या की मां अंजलि ने भी लिखित सहमति दी है तथा परीक्षाओं के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं।
यह करार इस मायने में भी खूबसूरत है कि जिस दौर में अभिभावक तथा किशोर बच्चों के बीच संवाद शून्यता तथा बेवजह विवाद की स्थितियां सामने आ रही हैं, उस दौर में मां-बेटी के बीच इस तरह का शानदार लिखित संवाद स्थापित हुआ है। भावनाओं को अभिव्यक्त करने के लिए कॉपी और पेन से बेहतर कुछ नहीं हो सकता। चैटिंग और सैटिंग के दौर में यदि मां और बेटी के बीच इस तरह के संवादों की सैटिंग हो, तो इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। अनन्या जैसी संवेदना, साहित्य के अध्ययन से ही हो सकती है। अनन्या और अंजलि आहूजा को रीजनल रिपोर्टर का सलाम !