पर्यावरण और वन संपदा की रक्षा वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है। तेजी से बढ़ते अतिक्रमण और अवैध पेड़ कटाई जैसी समस्याओं से निपटने के लिए तकनीकी समाधान अब अनिवार्य हो गए हैं।
इसी दिशा में मध्यप्रदेश ने देश का पहला राज्य बनने का गौरव प्राप्त किया है, जिसने AI आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम को लागू किया है।
विकासकर्ता और विचार की उत्पत्ति:
इस अभिनव प्रणाली को भारतीय वन सेवा (IFS) के 2016 बैच के अधिकारी अक्षय राठौर ने विकसित किया है। वर्तमान में वे गुना जिले के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) के रूप में कार्यरत हैं।
उन्होंने IIT रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। तकनीक, डेटा विश्लेषण और फील्ड अनुभव का संयोजन इस प्रणाली का आधार बना।
इस प्रणाली को विकसित करने में Python, Google Earth Engine और Machine Learning जैसे टूल्स का उपयोग किया गया।
उनके अनुसार, यह पहली बार है जब सैटेलाइट डेटा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और फील्ड फीडबैक को एक ही सिस्टम में एकीकृत किया गया है। इस तकनीक के ज़रिए जंगलों की निगरानी कहीं अधिक सटीक और प्रभावी होगी।
7 जून से पूरे प्रदेश में किया जाएगा लागू
गुना में सिस्टम की टेस्टिंग पूरी हो चुकी है। अब इसे 7 जून से पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा। यह सिस्टम अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित है।
- यह प्रणाली सैटेलाइट चित्रों और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से वन क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तनों का विश्लेषण करती है।
- 10×10 मीटर के क्षेत्र में बदलाव भी पहचान सकती है।
- प्रणाली में 20 से अधिक डेटा इंडेक्स शामिल हैं (NDVI, SAVI, EVI आदि)।
- मोबाइल ऐप के माध्यम से वन कर्मचारी क्षेत्र में जाकर अलर्ट की पुष्टि कर सकते हैं।
- ऐप GPS, वॉइस नोट और तस्वीरों के साथ रिपोर्ट सबमिट करने की सुविधा देता है।
इस सिस्टम को अभी पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पाँच जिलों – गुना, शिवपुरी, विदिशा, बुरहानपुर और खंडवा में लागू किया गया है।
यह प्रणाली वन अपराधों की त्वरित पहचान और समय रहते कार्रवाई को संभव बनाती है। पर्यावरणीय नुकसान की रोकथाम और वन प्रबंधन को पारदर्शी बनाने में सहायक है। आने वाले समय में इसे पूरे राज्य में लागू करने की योजना है और अन्य राज्यों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी।